रांची: झारखंड के दुमका जिले में एक अध्यापक ने 36 साल तक फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी करता रहा. बता दें कि शिक्षा विभाग को इस बात की जानकारी तब हुई जब फर्जी सर्टिफिकेट वाले शिक्षक रिटायर हो गया. फर्जी सर्टिफिकेट पर 36 साल तक नौकरी करने वाले शिक्षक शुकदेव मंडल को अब कोर्ट ने 50 […]
रांची: झारखंड के दुमका जिले में एक अध्यापक ने 36 साल तक फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी करता रहा. बता दें कि शिक्षा विभाग को इस बात की जानकारी तब हुई जब फर्जी सर्टिफिकेट वाले शिक्षक रिटायर हो गया. फर्जी सर्टिफिकेट पर 36 साल तक नौकरी करने वाले शिक्षक शुकदेव मंडल को अब कोर्ट ने 50 लाख का जुर्माना और 6 साल की सजा सुनाई है. रिपोर्ट के अनुसार 12 साल तक मुकदमा चलने के बाद दोषी पाए जाने पर उसे सजा सुनाई गई है. बता दें कि जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर शिक्षक शुकदेव को 6 माह की सजा और भुगतनी होगी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक साल 2011 में तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक को जांच के दौरान पता चला कि दुमका जिले के सरैयाहाट प्रखंड के कानीजोर प्राथमिक विद्यालय के रिटायर्ड टीचर शुकदेव मंडल ने फर्जी सर्टिफिकेट से नौकरी प्राप्त की है. इतना ही नहीं शिक्षक शुकदेव, रिटायर होने के बाद सरकारी प्रावधान के अनुसार राशि भी प्राप्त की. जांच के दौरान पता चला कि शिक्षक शुकदेव मंडल ने जो मैट्रिक सर्टिफिकेट जमा किया है. उसमें वास्तविक नाम नहीं है।
इस संबंध में तत्कालीन प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी अमरनाथ साहू को इस मामले में जांच करने का निर्देश दिया गया था. इसके बाद शिक्षक शुकदेव मंडल को नोटिस देकर कहा गया कि रिटायरमेंट के बाद उन्होंने जो सरकारी राशि हस्तगत की है, उसे एक महीने के भीतर देवघर कोषागार में निर्देशानुसार जमा कर दें. इसके बाद शिक्षक शुकदेव मंडल की तरफ से किसी तरह का जवाब नहीं दिया गया. जिसके बाद 18 अगस्त 2011 को सरैयाहाट थाने में फर्जी सर्टिफिकेट से नौकरी हासिल करने के आधार पर मामले पर दर्ज कराया गया।
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