Jharkhand: झारखंड. Jharkhand: कोरोना माहमारी में अगर किसी को इस जंग को लड़ने का सबसे प्रभावी हथियार माना गया तो वह है कोरोना वैक्सीन और इस वैक्सीन ने आज एक चमत्कार कर दिखाया है. दरअसल, झारखण्ड के 55 वर्षीय दुलारचंद मुंडा को कोविशील्ड की पहली डोज़ लगते ही उनकी कई साल पहले खोई आवाज़ लौट […]
झारखंड. Jharkhand: कोरोना माहमारी में अगर किसी को इस जंग को लड़ने का सबसे प्रभावी हथियार माना गया तो वह है कोरोना वैक्सीन और इस वैक्सीन ने आज एक चमत्कार कर दिखाया है. दरअसल, झारखण्ड के 55 वर्षीय दुलारचंद मुंडा को कोविशील्ड की पहली डोज़ लगते ही उनकी कई साल पहले खोई आवाज़ लौट आई इसके साथ ही वे चलने फिरने भी लगे.
कोरोना वैक्सीन का चमत्कार तब हुआ जब शख़्स को कविशील्ड की डोज़ दी गई. ये डोज़ झारखण्ड के दुलारचंद मुंडा के लिए इतनी चमत्कारी साबित हुई कि वे इसे लगवाकर बोलने लगे साथ ही जो बीते कई सालों से चल फिर नहीं पाते थे अब वे चलने भी लगे. बता दें कि करीब पांच साल पहले दुलारचंद मुंडा एक सड़क हादसे में अपनी आवाज़ खो बैठे थे साथ ही वे चल फिर भी नहीं पाते थे. उनकी आवाज़ लड़खड़ाने लगी थी और शरीर के भी कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था.
मामले पर डॉक्टरों ने इसे किसी भी चमत्कार मानाने से मन कर दिया है. डॉक्टर्स का कहना है कि ये महज एक इत्तेफ़ाक़ है. इसके बाद जिले के सिविल सर्जन ने शख़्स मेडिकल हिस्ट्री निकालकर उसे एनालायसिस के लिए भेज दिया है. वहीं, शख़्स के परिजनों का कहना है कि हमने इनके स्वस्थ होने के लिए कई मंदिर मज़ीदों के चक्कर लगाए लेकिन चमत्कार इस कविशील्ड की वैक्सीन ने ही किया. आज हमारी दुआएं रंग लाइ.