प्यार का महीना चल रहा है और आज 'वेलेंटाइन डे' मनाया जा रहा है. दुनिया भर में कुछ ऐसी प्रेम कहानियां होती हैं जो अमर हो जाती हैं. इश्क का नाम लेते ही जेहन में लैला-मजनू, हीर-रांझा, शिरीन-फरहाद के नाम घूमने लगते हैं. आज हम आपको झारखंड के एक ऐसे शख्स की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो अपनी लापता पत्नी को ढूंढने के लिए साइकिल से ही निकल पड़ा. 24 दिनों तक करीब 600 किलोमीटर साइकिल चलाने वाले इस शख्स का नाम है मनोहर नायर.
रांचीः 14 फरवरी यानी ‘वेलेंटाइन डे’ के दिन देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्रेमी जोड़े प्यार की एक नई कहानी लिख रहे होते हैं. इन प्रेम कहानियों के बीच कुछ कहानियां ऐसी भी होती हैं जो अमर हो जाती हैं. चाहे वो दशरथ मांझी की प्रेम कहानी हो, जो अपनी पत्नी से बेइंतेहा मोहब्बत करता था और पत्नी की मौत का बदला लेने के लिए उसने चट्टान का भी सीना चीर दिया था या फिर वो झारखंड के रहने वाले मनोहर नायर की कहानी हो, जिसने अपनी लापता पत्नी को ढूंढने के लिए 24 दिनों तक करीब 600 किलोमीटर साइकिल से सफर किया और आखिरकार अपनी गुमशुदा पत्नी को ढूंढ निकाला.
मिली जानकारी के अनुसार, झारखंड के मुसाबनी स्थित बालिगोडा गांव के रहने वाले पेशे से मजदूर मनोहर नायर (42) की पत्नी अनीता 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर अपने मायके कुमरसोल गांव गई थी. जिसके बाद से वह लापता हो गई. जब दो दिन बाद वह वापस नहीं लौटी तो मनोहर ने मुसाबनी और डुमरिया पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस अनीता की तलाश करते हुए उसे ढूंढने में नाकाम रही तो मनोहर ने खुद अपनी पत्नी को ढूंढने का फैसला किया. मनोहर ने बताया कि उसने अपनी पुरानी साइकिल दुरुस्त कराई और वह निकल पड़े अपनी पत्नी को ढूंढने के लिए.
मनोहर ने 24 दिनों में हर दिन करीब 25 किलोमीटर साइकिल चलाई. मनोहर ने 65 गांवों में पत्नी की तलाश की लेकिन अनीता का कुछ पता नहीं चला. मनोहर कहते हैं कि उन्हें नहीं पता था कि वह कहां जा रहे हैं और अनीता को ढूंढने में कितना वक्त लगेगा, बस उन्होंने अपनी कोशिश जारी रखी. इस बीच मनोहर ने कुछ अखबारों में भी पत्नी के लापता होने से संबंधी इश्तेहार दिए. यह तरकीब काम कर गई और कोलकाता के खड़गपुर में कुछ लोगों ने उनकी पत्नी को देखने की बात कही. उन लोगों ने खड़गपुर पुलिस को इसकी जानकारी दी. पुलिस ने पहचान के लिए अनीता की फोटो मुसाबनी पुलिस को भेजी. मनोहर ने पत्नी को पहचान लिया और फिर वह अपना और पत्नी का आधार कार्ड लेकर 10 फरवरी को खड़गपुर पुलिस के पास पहुंच गए. जिसके बाद 11 तारीख को मनोहर अनीता को अपने साथ लेकर घर के लिए निकल गए. बालिगोडा गांव के लोग मनोहर की हिम्मत की सराहना करते नहीं थक रहे हैं.
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