Jai Hind in Gujarat: गुजरात की विजय रुपाणी सरकार का फरमान- अटेंडेस के वक्त यस सर नहीं, जय हिंद या जय भारत बोलें छात्र

Jai Hind in Gujarat: गुजरात सरकार ने एक आदेश जारी किया है कि अब से बच्चे स्कूल में केवल जय भारत या जय हिंद ही कहेंगे. जी सर कहने पर रोक लगा दी गई है. इस बारे में सभी स्कूलों में आदेश पत्र भेजे जा चुके हैं. इसे सभी स्कूल के छात्रों के लिए अनिवार्य किया जा रहा है. सरकार का दावा है कि ये कदम देशप्रेम को बढ़ाने के लिए उठाया जा रहा है.

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Jai Hind in Gujarat: गुजरात की विजय रुपाणी सरकार का फरमान- अटेंडेस के वक्त यस सर नहीं, जय हिंद या जय भारत बोलें छात्र

Aanchal Pandey

  • January 1, 2019 1:54 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

अहमदाबाद. अब से पूरे गुजरात के स्कूल में बच्चे जी सर या जी मैडम नहीं बल्कि अटेंडेंस के दौरान अपना नाम पुकारे जाने पर जय हिंद या जय भारत कह कर जवाब देंगे. इस आदेश के लिए एक नोटिस सभी स्कूलों में भेज दिया गया है. इसके अनुसार सभी स्कूलों के छात्रों के लिए ये अनिवार्य है. सोमवार को विभाग ने इसको लागू करने के आदेश भेजे. राज्य शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इस बारे में कहा कि ये कदम बचपन से ही बच्चों में देशप्रेम जगाने के लिए है.

राज्य शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चुदासमा ने कहा, ‘जब मैं बच्चा था तो हमारे लिए जरूरी था कि हम जय हिंद और जय भारत कहकर अपनी अटेंडेंस का जवाब देते थे. ये बाद में बंद कर दिया गया. हमने ये मंगलवार से दोबारा शुरू करने का फैसला किया है.’ उन्होंने कहा, ‘अपने स्कूल के दौरान एक छात्र जी सर/जी मैडम कम से कम 10,000 बार बोलते हैं. यदि वो उसे जय हिंद/जय भारत से बदल दें तो उनके अंदर देशभक्ति रहेगी.’ जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि जिला शिक्षा अधिकारी को देखना होगा की ये आदेश सख्ती से सरकारी, गैर सरकारी सभी स्कूलों में निभाया जाए.

हाल ही में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की एक बैठक के दौरान अहमदाबाद में राजस्थान झालौर के प्रोफेसर यशवंतरी केलकर अवॉर्ड से सम्मानित संदीप जोशी ने कहा, ‘हमने अपने स्कूल में ये शुरू करवाया था. हालांकि बाग में ये पूरे राजस्थान में लागू किया जाने लगा.’ जब संदीप जोशी ने इस बारे में बताया तब इस बैठक में भूपेंद्र सिंह चुदासमा भी मौजूद थे. उन्होंने अब ये गुजरात में भी लागू कर दिया है. उनसे पूछा गया कि क्या ये राजस्थान के मॉडल पर ही आधारित है तो उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई बुराई नहीं है कि देश के दूसरे हिस्सों से शिक्षा के कुछ तरीके लेकर अपने यहां लागू किए जाएं.’

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