नई दिल्लीः अयोध्या तो केवल झांकी है, काशी मथुरा अभी बाकी है, का नारा अब अन्य मस्जिदों के ऊपर लागू होने लगा है। दरअसल, हिंदू पक्ष द्वारा ये दावा किया जा रहा है कि यूपी के संभल में स्थित शाही जामा मस्जिद हिंदुओं का हरिहर मंदिर है। ये मामला अब कोर्ट में चल रहा है। हिंदू पक्ष का कहना है कि इस मस्जिद का निर्माण भी मंदिर को तोड़कर किया गया था। लेकिन, इसके पीछे की सच्चाई क्या है?
हिंदू पक्ष ने कई ऐतिहासिक तर्क देने शुरू कर दिए हैं। कहा जा रहा है कि मंदिर पृथ्वीराज चौहान के शासन से पहले बना था, जबकि मुगल काल में मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। मेरठ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. विग्नेश त्यागी जो इतिहासकार और लेखक हैं, उन्होंने अपनी पुस्तक युग युगीन में हरिहर मंदिर के अस्तित्व का हवाला दिया है। इसमें लिखा है कि हरिहर मंदिर पृथ्वीराज चौहान के शासन काल 1178 से 1193 तक अस्तित्व में था। इस दौरान पृथ्वीराज चौहान ने संभल को दूसरी राजधानी का दर्जा दिया था। उस समय भी यह मंदिर संभल में बना था।
प्रोफेसर ने लिखा है कि बाबर के शासन काल में इसे मस्जिद बना दिया गया था। उस समय की लिखावट या उससे पहले की लिखावट की जानकारी लिपि शास्त्र से पता चल सकती है। अगर खुदाई की जाए तो मंदिर होने के कई प्रमाण मिल जाएंगे। इसके अलावा, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एएसआई ने अपनी साल 1879 की सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा था कि मस्जिद के गुंबद का जीर्णोद्धार हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने कराया था और मस्जिद के हिंदू स्तंभ मुस्लिम स्तंभों से पूरी तरह अलग हैं।
बाबरनामा और आइन-ए-अकबरी में मस्जिद का जिक्र संभल जामा मस्जिद का जिक्र बाबरनामा और आइन-ए-अकबर में मिलता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि इस मस्जिद का निर्माण मुगल काल में हुआ था। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इसका निर्माण किन परिस्थितियों में हुआ। वादीगण का तर्क है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया। वादी महंत ऋषिराज गिरि ने बताया कि कई तथ्य प्रकाश में आए हैं। सर्वे के दौरान ऐसे तथ्य मिले हैं, जिन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। उसी आधार पर कार्रवाई आगे बढ़ेगी।
मंगलवार को चंदौसी सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताते हुए एक मुकदमा दायर किया गया। कोर्ट कमिश्नर ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के साथ शाम को मस्जिद का सर्वे किया। बुधवार को मस्जिद की सुरक्षा में कई थानों की पुलिस के अलावा पीएसी की एक कंपनी और आरआरएफ की एक कंपनी तैनात की गई थी। अदालत ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने के साथ ही अगली सुनवाई की तिथि 29 नवंबर तय की है।
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