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नीतीश कुमार के लिए बेटे निशांत की पॉलिटिकल लॉन्चिंग जरूरी या मजबूरी?

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के उन नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने अपनी पार्टी पर परिवारवाद को हावी नहीं होने दिया। नीतीश ने अपने परिवार को राजनीति से दूर रखा। यहां तक कि उन्होंने अपने किसी रिश्तेदार को भी टिकट नहीं दिया। रैलियों में नीतीश कुमार अपने इस कोशिश को गर्व के […]

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नीतीश कुमार के लिए बेटे निशांत की पॉलिटिकल लॉन्चिंग जरूरी या मजबूरी?
  • June 27, 2024 4:25 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 months ago

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के उन नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने अपनी पार्टी पर परिवारवाद को हावी नहीं होने दिया। नीतीश ने अपने परिवार को राजनीति से दूर रखा। यहां तक कि उन्होंने अपने किसी रिश्तेदार को भी टिकट नहीं दिया। रैलियों में नीतीश कुमार अपने इस कोशिश को गर्व के साथ बताते भी फिरते हैं। खासकर राजद सुप्रीमो लालू यादव पर परिवारवाद को लेकर कटाक्ष करते हुए वो खुद को वंशवाद को बढ़ावा नहीं देने का क्रेडिट देते हैं। लेकिन इन दिनों नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की लॉन्चिंग की ख़बरें चर्चा में है।

बेटे को विरासत सौपेंगे नीतीश?

जदयू नेता खुलकर यह मांग करने लगे हैं कि नीतीश कुमार अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे निशांत को ही सौंपे। जदयू के नेता इस बात का प्रचार करना शुरू कर चुके हैं कि ऐसे निशांत एक शांत स्वाभाव के ईमानदार और स्वच्छ छवि वाले व्यक्ति हैं। वैसे नेता की बिहार और पार्टी को जरूरत है। राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो जदयू को बचाने के लिए निशांत नीतीश कुमार के लिए जरूरी हो चुके हैं।

निशांत की पॉलिटिकल लॉन्चिंग जरूरी या मजबूरी?

ऐसा देखा गया है कि देश की क्षेत्रीय पार्टियों और राष्ट्रीय पार्टियों की विरासत युवराज ही संभालते हैं। राजनीतिक दलों के इतिहास की तरफ भी नजर डालें तो यही पता चलता है कि पार्टी की विरासत शीर्ष नेतृत्व संभालने वाले के बेटों को ही दी जाती है। जिन्होंने अपने पुत्र को विरासत नहीं सौंपी पार्टी हाशिए पर चली गई। तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक खत्म होने के कगार पर है। बंगाल में कम्युनिस्ट युवराज के अभाव में खत्म हो गए। बसपा प्रमुख मायावती और TMC की मुखिया ममता बनर्जी अपने भतीजे को उत्तरधिकारी बनाकर आगे बढ़ रही हैं। कांग्रेस अब तक इसलिए टिक पाई है क्योंकि उनके पास राहुल और प्रियंका हैं। राजद ने तेजस्वी यादव को अपना भावी मुखिया मान लिया है। मुलायम सिंह यादव की विरासत अखिलेश संभाल रहे हैं। शिवसेना उद्धव ठाकरे के कब्जे में है। ऐसे में जदयू को भी यही लग रहा है कि निशांत नीतीश कुमार के लिए जरूरी हो गए हैं।

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