नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में महंगाई की दर 8.8 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो देशभर में सबसे अधिक है। इसके चलते महंगाई दर के मामले में छत्तीसगढ़ पहले स्थान पर है, जिसके बाद बिहार 7.8 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है। वहीं ओडिशा में महंगाई की दर 7.5 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश 7.4 प्रतिशत और मध्य प्रदेश 7 प्रतिशत है, जिसके चलते ये देश के टॉप 5 महंगे राज्य की लिस्ट में शामिल हैं।
रायपुर: छत्तीसगढ़ में महंगाई की मार झेल रहे लोगों को राहत नहीं मिल रही है। नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर में राज्य में महंगाई की दर 8.8 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो देशभर में सबसे अधिक है। यह आंकड़ा ऐसे समय में आया है जब बीजेपी सरकार को सत्ता में एक साल पूरा होने वाला है।
जानकारी के अनुसार, महंगाई दर के मामले में छत्तीसगढ़ पहले स्थान पर है, जिसके बाद बिहार 7.8 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है। वहीं ओडिशा में महंगाई की दर 7.5 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश 7.4 प्रतिशत और मध्य प्रदेश 7 प्रतिशत है, जिसके चलते ये देश के टॉप 5 महंगे राज्य की लिस्ट में शामिल हैं। इसके अलावा दिल्ली 4 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल 4.6 प्रतिशत और महाराष्ट्र 5.4 प्रतिशत जैसे राज्यों में महंगाई दर इन राज्यों की तुलना में कम दर्ज की गई।
देशभर में रिटेल बाज़ार भी बढ़ी है, जो अक्टूबर में 6.2 प्रतिशत रही। बता दें यह पिछले 14 महीनों का सबसे ज्यादा रहा है। सितंबर में यह दर 5.49 प्रतिशत और अगस्त में 3.65 प्रतिशत थी।इस बीच एक्सपर्ट्स का कहना है कि सब्जियों, अनाज, तेल और फलों की कीमतों में बढ़ोतरी इसका मुख्य कारण है। इस बढ़ती महंगाई के चलते फिलहाल आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना बेहद कम है।
महंगाई के आंकड़ों के बाद विपक्ष को सरकार पर निशाना साधने का एक और मुद्दा मिल गया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार पर तंज़ कस्ते हुए कहा कहा, जनता ने मांगा गारंटी का जवाब, तो परोस दी शराब। कथित सुशासन का जिक्र करते हुए ऐप डाउनलोड करने की सलाह दे दी। कांग्रेस ने इशारा दिया है कि वह महंगाई के इस मुद्दे पर जनता के बीच जाकर बीजेपी सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है।
महंगाई के इस मुद्दे ने छत्तीसगढ़ में राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है। बीजेपी सरकार जहां खुद को जनता के हितैषी के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही है, वहीं विपक्ष इसे सरकार की नाकामी बता रहा है। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में महंगाई का यह मुद्दा राजनीतिक समीकरणों को कितना प्रभावित करता है।