October 23, 2024
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इस दिन से पानी पर चलेगी भारतीय रेल, डीजल और बिजली का नहीं होगा इस्तेमाल

इस दिन से पानी पर चलेगी भारतीय रेल, डीजल और बिजली का नहीं होगा इस्तेमाल

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नई दिल्ली: भारतीय रेलवे अब वंदेभारत और अमृतभारत ट्रेनों के बाद एक और खास ट्रेन चलाने की तैयारी में है। बता दें यह ट्रेन न बिजली से चलेगी और न ही डीजल से, बल्कि पानी से बने हाइड्रोजन का उपयोग करेगी। रेलवे मंत्रालय ने इस नई हाइड्रोजन ट्रेन के पहले प्रोटोटाइप को दिसंबर 2024 तक चलाने का लक्ष्य तय किया है और इसके लिए रूट भी तय कर दिया गया है। यह ट्रेन हरियाणा के जींद से पानीपत के बीच 90 किलोमीटर का सफर तय करेगी।

रेलवे के अनुसार, एक चक्कर के लिए ट्रेन के इंजन में 360 किलोग्राम हाइड्रोजन भरी जाएगी। इस प्रोजेक्ट के तहत हाइड्रोजन प्लांट का निर्माण कार्य तेजी से हो रहा है, जो ट्रेन को आवश्यक हाइड्रोजन प्रदान करेगा।

2030 तक जीरो कार्बन लक्ष्य

रेलवे मंत्रालय के कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार ने बताया कि भारतीय रेलवे 2030 तक “जीरो कार्बन” लक्ष्य हासिल करने की दिशा में काम कर रहा है, जिसमें हाइड्रोजन ईंधन का महत्वपूर्ण योगदान होगा। आगे उन्होंने बताया कि इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत हाइड्रोजन फ्यूल सेल और आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जा रहा है। इसके सफल परीक्षण के बाद इसे देश भर में लागू किया जाएगा।

बता दें हाइड्रोजन ट्रेन बनाने के लिए मौजूदा डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) को हाइड्रोजन ईंधन से चलाने के लिए रेट्रो फिटमेंट का काम चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में किया जा रहा है।

Indian Railway hydrogen train in india

35 हाइड्रोजन ट्रेनों का प्लान

भारतीय रेलवे हाइड्रोजन हेरीटेज प्रोजेक्ट के तहत 35 हाइड्रोजन ट्रेनें चलाने का भी योजना बना रहा है। प्रति ट्रेन की लागत लगभग 80 करोड़ रुपये होगी, जबकि हेरिटेज और हिल रूट्स के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगभग 70 करोड़ रुपये का खर्च तय किया गया है।

जीआरपी थाने के पास रेलवे जंक्शन पर 118 करोड़ रुपये की लागत से हाइड्रोजन गैस प्लांट का निर्माण शुरू हो चुका है। यह प्लांट दो हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में बन रहा है, जिसमें तीन हजार किलोग्राम हाइड्रोजन भंडारण क्षमता वाला टैंक होगा। पहले चरण में दो ट्रेनें चलाई जाएंगी और अतिरिक्त हाइड्रोजन को बाकी स्थानों पर टैंकरों से भेजा जाएगा।

hydrogen train

कम शोर करेगी ट्रेन

हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन के इंजन से धुआं नहीं, बल्कि भाप और पानी निकलेगा जो पर्यावरण के अनुकूल होगा। इसके अलावा यह ट्रेन डीजल इंजनों की तुलना में 60 प्रतिशत कम शोर करेगी और इसकी गति और यात्री क्षमता डीजल ट्रेन के बराबर होगी।

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