शिमला: हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के सम्मू गांव में दीवाली का त्यौहार नहीं मनाया जाता है, यहां के लोगों में दिवाली को लेकर कोई तैयारी या उत्साह नहीं रहता.
शिमला: हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के सम्मू गांव में दीवाली का त्यौहार नहीं मनाया जाता है, यहां के लोगों में दिवाली को लेकर कोई तैयारी या उत्साह नहीं रहता. ऐसे में यहां लोगों के लिए आम दिनों की तरह दिवाली होती है.
दरअसल हमीरपुर जिले के सम्मू गावं में कई सालों से दीवाली मनाते है. लोगों का मानना है कि सम्मू गांव श्रापित है और दीवाली पर इस गांव में जश्न नहीं मनाया जाता है. अगर कोई व्यक्ति दीवाली मनाता है तो अकाल मृत्य हो जाती है. इस बार भी सम्मू गांव में दीवाली को लेकर कोई रौनक नहीं दिखी. आपको बता दें कि सम्मू गांव में दिवाली सेलिब्रेशन को लेकर कई बार कोशिश की गई, लेकिन सभी कोशिशें नाकाम साबित हुई. यहां के लोगों में इतना खौफ है कि दीपावली के दिन घरों से बाहर भी निकलना मुनासिब नहीं समझते हैं.
वहीं यहां के 70 वर्षीय ठाकुर विधि चंद का कहना है कि कई सालों से गांव में दीवाली नहीं मनाई जाती है और अगर कोई दीवाली मनाने की कोशिश करते हैं तो इस गांव में किसी न किसी की मौत हो जाती है. वहीं महिला बीणा ने कहा कि जब भी दीवाली आता है तो उनका दिल भर आता है क्योंकि अन्य गांवों में चहल-पहल होती है लेकिन उनके गांव में दीप नहीं जलते हैं. उन्होंने कहा कि इस श्राप से मुक्त होने के लिए गांव में कई बार हवन-यज्ञ का सहारा लिया गया, लेकिन सब नाकाम रहा.
कहा जाता है कि दीपावली के दिन ही गांव की एक महिला अपने पति के साथ सती हो गई थी. दीपावली मनाने के लिए महिला मायके जाने को निकली थी और उसका पति राज दरबार में सैनिक था, लेकिन महिला जैसे ही गांव से निकली तो उसे पता चला कि उसके पति की मौत हो गई है. पति के शव को लेकर वापस गांव ला रहे थे. इस दौरान पति की मौत का सदमा गर्भवती महिला को बर्दाश्त नहीं हुआ और पति के साथ वो भी सती हो गई, जाते-जाते गांव में श्राप देकर चली गई कि इस गांव के लोग कभी दीपावली नहीं मना पाएंगे.