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छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में ना ही भगवान की मूर्ति, ना ही आते हैं श्रद्धालु, फिर भी देशभर में है प्रसिद्ध

नई दिल्ली: क्या आपने कभी सुना है कि मंदिर में किसी भी भगवान की मूर्ति नहीं हो और ना ही पूजा होती हो. फिर भी वो मंदिर प्रसिद्ध है. ऐसा देखने और सुनने को बहुत कम ही मिलता है, लेकिन छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में भगवान विष्‍णु का एक अनोखा मंदिर है जो अपने निर्माण काल से अपूर्ण है, फिर भी यह मंदिर देशभर में प्रसिद्ध है।

मंदिर के चारों ओर अत्यन्त सुंदर

जांजगीर के इस अनोखे मंदिर के चारों तरफ अत्यन्त सुंदर और अलंकरणयुक्त मूर्ति बनाई गई हैं. यहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्ति स्‍थापित है. इस मंदिर के दीवारों में अनेक मूर्तियां बनी हैं. ऐसा आभास होता है कि किसी समय बिजली गिरने से मंदिर नष्ट हो गया और मूर्तियां बिखर गई. बाद में मंदिर की मरम्मत करते समय उन मूर्तियों को दीवारों पर लगा दिया गया. इतनी सजावट के बावजूद मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है. मंदिर अपूर्ण होने के कारण मूर्ति की स्थापना नहीं हो सकी।

इस मंदिर के निर्माण से जुड़ी अनेक जनश्रुतियां विख्यात हैं. दंतकथा के मुताबिक एक निश्चित समयावधि जिसे कुछ लोग इसे छैमासी रात्रि कहते हैं. इसी समय में शिवरीनारायण मंदिर और जांजगीर के इस मंदिर के निर्माण कार्य शुरू हुआ था. कहते है कि भगवान नारायण ने घोषणा की थी कि जो मंदिर पहले बनकर तैयार होगा वो उसी में प्रविष्ट होंगे. शिवरीनारायण का मंदिर पहले बनकर तैयार हो गया और भगवान नारायण उसमें प्रविष्ट हुए।

जांजगीर का विष्णु मंदिर रह गया अधूरा

एक अन्य दंतकथा है जो कि महाबली भीम से जुड़ी विख्यात है.. कहा जाता है कि मंदिर के पास भीमा तालाब को भीम ने सिर्फ 5 बार फावड़ा चलाकर खोदा था. किंवदंती के मुताबिक भीम को इस मंदिर का कारीगर बताया गया है. दंतकथा के अनुसार एक बार विश्वकर्मा और भीम में एक रात में मंदिर की प्रतियोगिता हुई और इसके बाद भीम ने इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया. मंदिर निर्माण के दौरान भीम की छेनी-हथौड़ी हाथ से नीचे गिरने पर उसका हाथी उसे वापस लाकर देता था. ऐसा कई बार हुआ, लेकिन अंत में भीम की छेनी पास के तालाब में चली गई जिसे हाथी वापस नहीं ला सका और सुबह हो गया. उस प्रतियोगिता को हारने से भीम को बहुत दुख हुआ और क्रोध में आकर उन्‍होंने हाथी के दो टुकड़े कर दिए. इस प्रकार मंदिर अपूर्ण रह गया।

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