पटना : लोकसभा का चुनाव होने में लगभग एक साल का समय बचा हुआ है. अभी से राजनीतिक पार्टियों ने तैयारियां शुरु कर दी है. भाजपा विरोधी सभी पार्टियां एकजुट होने की कोशिश कर रही है. इसी सिलसिले में 12 जून को पटना में विपक्षी पार्टियों की बैठक होगी जिसमें 20 दलों के शामिल होने […]
पटना : लोकसभा का चुनाव होने में लगभग एक साल का समय बचा हुआ है. अभी से राजनीतिक पार्टियों ने तैयारियां शुरु कर दी है. भाजपा विरोधी सभी पार्टियां एकजुट होने की कोशिश कर रही है. इसी सिलसिले में 12 जून को पटना में विपक्षी पार्टियों की बैठक होगी जिसमें 20 दलों के शामिल होने की संभावना है. इस कड़ी में कांग्रेस ने इस बार बिहार में सर्वण जातियों को साधने की कोशिश की है. कांग्रेस ने बिहार में 39 जिलाध्यक्षों की सूची जारी की है.
कांग्रेस ने मंगलवार यानी 30 मई को जिलाध्यक्षों की सूची जारी की है जिसमें 67 प्रतिशत जिलाध्यक्ष सर्वण समाज से आते है. इसमें 12 भूमिहार, 8 ब्राह्मण और राजपूत समाज को जिलाध्यक्ष बनाया है. इन 39 जिलाध्यक्षों में 5 मुस्लिम और 2 महिलाएं है. इस सूची से साफ जाहिर है कि कांग्रेस इस बार सर्वण जातियों की राजनीति करने जा रही है. इससे आने वाले चुनाव में बीजेपी को नुकसान हो सकता है.
बिहार में सर्वण जातियों की आबादी लगभग 18 प्रतिशत के आसपास है. जिसमें सबसे अधिक भूमिहारों की संख्या है. भूमिहार करीब 6 प्रतिशत, 5.5 प्रतिशत ब्राह्मण और इतने ही राजपूत है. अगर भूमिहार समाज की बात करे तो लगभग 10 जिलों में प्रभाव है. पटना, वैशाली, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, जहानाबाद, सीतामढ़ी, नवादा और आरा में भूमिहार समाज का दबदबा है. 243 विधायकों में 64 विधायक सर्वण समाज के है जिनमें 21 विधायक भूमिहार जाति के है.
अगर हम 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करे तो पूरे बिहार में कांग्रेस को सिर्फ 8 प्रतिशत ही वोट मिले थे और सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी. कांग्रेस ने यह सीट किशनगंज में जीती थी जहां पर मुस्लिम वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है. अगर उसके पहले यानी 2014 लोकसभा चुनाव की बात करे तो कांग्रेस को 9 प्रतिशत वोट मिले थे और 2 सीटों पर जीत मिली थी.