नई दिल्ली: लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) पर नियंत्रण के लिए दोनों पक्षों के बीच विवाद शुरू होने के तीन साल बाद भी अनसुलझा है.
नई दिल्ली: लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) पर नियंत्रण के लिए दोनों पक्षों के बीच विवाद शुरू होने के तीन साल बाद भी अनसुलझा है. वहीं चुनाव आयोग ने केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री चिराग पासवान और उनके चाचा के नेतृत्व वाले दोनों गुटों को पत्र लिखा है जिसमें 25 जुलाई तक अपने सहयोगियों के समर्थन में पत्र देने की बात कही है.
साल 2020 में एलजेपी के संस्थापक राम विलास पासवान की मृत्यु के बाद उनके बेटे चिराग और उनके भाई पारस के बीच मनमुटाव हो गया. ये विवाद जून 2021 में चुनाव आयोग तक पहुंच गया जब दोनों पक्षों ने दावा किया कि वे असली एलजेपी हैं.
वहीं 2 अक्टूबर, 2021 को चुनाव आयोग ने लोक जनशक्ति पार्टी के नाम और प्रतीक ‘बंगला’ के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए एक अंतरिम आदेश पारित किया. वैकल्पिक नामों के उनके अनुरोध पर विचार करने के बाद चिराग पासवान समूह को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) नाम और हेलीकॉप्टर का प्रतीक आवंटित किया, जबकि पारस समूह को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का नाम और सिलाई मशीन प्रतीक आवंटित किया.
वहीं चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों को अपने दावे के समर्थन में सभी दस्तावेज जमा करने के लिए कई अनुस्मारक दिए गए हैं. चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अतीत में पूछे जाने पर दोनों पक्षों ने अपने दस्तावेज़ जमा करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा है. अधिकारी ने कहा कि चूंकि विवाद चुनाव आयोग में प्रतीक आदेश के तहत दर्ज किया गया है, इसलिए चुनाव आयोग को प्रासंगिक तथ्यों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना होगा. अधिकारी ने कहा कि किसी भी पक्ष ने अपना दावा वापस नहीं लिया है.
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