मुंबई : भारतीय त्योहारों के दौरान बजने वाले डीजे की ध्वनि को लेकर अक्सर बहस मुद्दा बना रहता है। कुछ लोग इसे त्योहार के जश्न से जोड़ते हैं तो कुछ इसे ध्वनि प्रदूषण कहते हैं और इस पर प्रतिबंध लगाने की बात करते हैं। हाल ही में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के जुलूसों के दौरान डीजे, डांस, संगीत और लेजर लाइट के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
बुधवार को कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि अगर गणेश चतुर्थी के लिए डीजे हानिकारक है तो यह अन्य त्योहारों के लिए भी उतना ही हानिकारक है। दरअसल, पुणे के चार व्यापारियों ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने कई तर्क दिए। व्यापारियों ने कहा था कि न तो कुरान और न ही इस्लाम में हदीस में त्योहार के लिए डीजे संगीत और लेजर लाइट के इस्तेमाल की बात कही गई है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि धार्मिक त्योहारों के दौरान लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ध्वनि प्रदूषण के नियमों का पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि कोई भी धर्म या समुदाय ‘संवैधानिक अधिकार’ का हवाला देते हुए डीजे संगीत और स्पीकर का उपयोग नहीं कर सकता है। इस याचिका पर मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने सुनवाई की। उन्होंने अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत द्वारा दायर याचिका पर 20 अगस्त के अपने आदेश का हवाला दिया, जिसमें उच्च डेसिबल ध्वनि प्रणालियों और खतरनाक लेजर लाइटों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।
क्या इस पर कोई वैज्ञानिक अध्ययन हुआ है? मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कई सवाल पूछे। उन्होंने पूछा कि क्या इस पर कोई वैज्ञानिक अध्ययन हुआ है, जो यह साबित कर सके कि लेजर लाइट कितनी हानिकारक हैं। जस्टिस उपाध्याय ने टिप्पणी करते हुए कहा- इन दिनों मोबाइल टावरों को लेकर काफी शोर है। क्या आपने इसके बारे में पढ़ा है? जब तक यह वैज्ञानिक रूप से साबित नहीं हो जाता कि लेजर बीम नुकसान पहुंचाती हैं, तब तक हम इस मुद्दे पर कैसे फैसला ले सकते हैं। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा- आपको जनहित याचिका दायर करने से पहले जरूरी और बुनियादी शोध करना चाहिए।
नोटिस गौरतलब है कि इससे पहले याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया था कि पुणे में गणेश उत्सव के दौरान होने वाले तेज शोर के कारण उनकी सुनने की क्षमता को काफी नुकसान पहुंचा है और वे मानसिक पीड़ा से जूझ रहे हैं।
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