अहमदाबाद: महिला का जहां नाम आता है, वहां पर हम सतर्क हो जाते हैं. जी हां… इस बार भी गुजरात से इसी तरह का मामला सामने आया है. जहां न्याय की गुहार लगाते हुए एक 40 साल की महिला हाईकोर्ट पहुंची. उसने अदालत से ऐसी मांग की जब भी सुनकर दंग रह गए. दरअसल महिला […]
अहमदाबाद: महिला का जहां नाम आता है, वहां पर हम सतर्क हो जाते हैं. जी हां… इस बार भी गुजरात से इसी तरह का मामला सामने आया है. जहां न्याय की गुहार लगाते हुए एक 40 साल की महिला हाईकोर्ट पहुंची. उसने अदालत से ऐसी मांग की जब भी सुनकर दंग रह गए.
दरअसल महिला ने कोर्ट में उसके पति को स्पर्म दान करने के लिए अपील की. कोर्ट में भी इस तरह का एक अलग ही मामला सामने आया था. कोर्ट को ये समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वो क्या करें. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा इस में क्या था, जो कोर्ट भी कंफ्यूज रह गई. तो चलिए विस्तार से बताते है.
बता दें कि मामला यह है कि 2019 से महिला अपने पति से अलग रह रही है. उसके पति ने उसे कोर्ट में डिवोर्स फाइल पर अपने पास रखा है. महिला ने कोर्ट को अपने मां बनने की इच्छा जाहिर करते हुए बताया कि समय बितता जा रहा है, जिस वजह से उसकी गर्भधारण की संभावना भी कम होते हुए जा रही है.
मां बनना उसका मौलिक अधिकार है, तो कोर्ट इसलिए उसके पति को आदेश दी की वो स्पर्म दे. वहीं अगर पति स्पर्म देना नहीं चाहता तो फिर किसी और डोनर से दिलवाए. ताकि वह आईवीएफ के टेकनिकस से मां बन सके.
बता दें कि महिला ने कोर्ट सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी टेक्नोलॉजी 2021 की दलील दी. साथ ही साथ कोर्ट से कहा कि वह गांधीनगर जिला मेडिकल अथॉरिटी मेरी मदद करें. वहीं सुनवाई के दौरान जस्टिस संगीता विसेन ने उनकी पूरी बात सुनी. उसके बाद जस्टिस ने सवाल किया कि पति के साथ तलाक के केस चल रहा है, तो क्या वह तुम्हारी मदद के लिए तैयार होगा.
कोर्ट ने कहा कि हम उस शख्स को ऐसे कैसे आदेश दे सकते हैं, जो आपके साथ जिंदगी गुजारना ही नहीं चाहता. जब वो मदद करना चाहता, तो आपसे तलाक की मांग करता ही नहीं. वहीं आगे कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले की निचली आदालत ही कर सकती है. कोर्ट के कहने के बाद भी महिला अपनी बातों के लिए जो देती रही.