Human Rights Commission of Rajasthan on Live in Relationships: राजस्थान के मानवाधिकार आयोग ने राज्य की अशोक गहलोत सरकार और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से सिफारिश की है कि राज्य में चल रही लिव इन रिलेशनशिप की प्रथा को रोक देना चाहिए.
जयपुर. राजस्थान के मानवाधिकार आयोग ने आदेश जारी कर राज्य में लिव इन रिलेशनशिप के चलन को गलत बताते हुए रोकने के लिए कहा है. मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि लिव इन रिलेशनशिप की प्रथा को रोकना हर हाल में रोकना जरूरी है. और ये राज्य और केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वे इसपर प्रतिबंध लगाएं. लिव इन रिलेशनशिप को लेकर आयोग का मानना है कि है कि ऐसे रिश्तों से महिलाओं को दूर रखने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिएं क्योंकि ये रिश्ते आगे चलकर महिलाओं के लिए परेशानी साबित होते हैं.
राजस्थान मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया और सदस्य जस्टिस महेश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने बुधवार को इस मामले को लेकर आदेश दिया. काफी लंबे समय से राजस्थान मानवाधिकार आयोग लिव इन रिलेशनशिप संबंधी प्रभाव पर अध्ययन कर रहे थे. आयोग ने इसके लिए सरकार और जन सामान्य से सुझाव मांगे थे. सरकार की ओर से पुलिस ने आयोग को इससे संबंधित जरूरी सुधाव दिए थे क्योंकि पुलिस ही ऐसे मामलों में सबसे ज्यादा जूझ रही है.
Human Rights Commission of Rajasthan issues order stating "it is imperative to stop the practice of live-in relationships, and it is the responsibility of the state and Central government to prohibit it." pic.twitter.com/wgu1sX7CJ7
— ANI (@ANI) September 4, 2019
आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि भारत का संविधान हर किसी व्यक्ति तो सम्मान से जीने का अधिकार देती है. ऐसे में लिव इन रिलेशनशिप जैसे रिश्तों को प्रोत्साहन तो दूर, इन रिश्तों से महिलाओं को दूर रखने के लिए सघन जागरूकता अभियान चलाना चाहिए. इसे रोकने के लिए सभी मानवाधिकार रक्षकों, आयोगों व सरकारी विभागों और सरकार का कर्तव्य होना चाहिए. आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार को तत्काल काम करना चाहिए.