नई दिल्ली। देश इस वक्त कोलकाता की प्रशिक्षु डॉक्टर के रेप और हत्या मामले ने न्याय के लिए लड़ रहा है। दिल्ली से लेकर मुंबई और यूपी तक डॉक्टर्स हड़ताल कर रहें हैं। बंगाल पुलिस की जांच में लापरवाही के बाद केस कोलकाता पुलिस से CBI को ट्रांसफर कर दिया गया, तो वहीं 14 अगस्त को अस्पताल में हजारों की भीड़ घुसने के बाद अब बंगाल पुलिस सवालों के घेरे में आ गई है।
कोर्ट ने सरकार से पूछा कि जब भीड़ अस्पताल पहुंची तो आप क्या कर रहे थे? इस पर सरकार ने कहा कि पुलिस को भीड़ के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। कोर्ट ने ममता सरकार से कहा है कि अस्पताल बंद कर दें, कम से कम सभी मरीज तो सुरक्षित रहेंगे।
14 अगस्त को 7 हजार लोगों की भीड़ ने अस्पताल पर हमला क्यों किया, इसका अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है। इसके अलावा इस बात पर भी संदेह है कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म में कितने लोग शामिल थे, क्योंकि पुलिस, सरकार और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अलग-अलग कहानियां बता रहे हैं। इस बीच कई सवाल उठ रहे हैं कि ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई इस घटना के बाद भी अब तक उस अस्पताल के सेमिनार हॉल को सील क्यों नहीं किया गया?
मृतका के परिजनों ने इस घटना में कुछ और लोगों के शामिल होने का संदेह जताया है। परिजनों ने कहा कि इसमें सहकर्मी भी शामिल हो सकते हैं। शक उस फूड डिलीवरी ब्वॉय पर भी है, जिसने आखिरी बार पीड़िता और उसके दोस्तों को खाना पहुंचाया था। पीड़िता की पेल्विक गर्डल टूटी हुई थी, जिसके बारे में डॉक्टरों का कहना है कि दुष्कर्म में ऐसा नहीं होता। पेल्विक गर्डल का टूटना भी इस बात का संकेत है कि अपराध में एक से अधिक लोग शामिल थे।
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