नई दिल्ली। दिल्ली में मेयर का चुनाव एक बार फिर टल गया। सोमवार को बुलाई गई दिल्ली नगर निगम सदन की तीसरी बैठक में भी मेयर पद के चुनाव के लिए होने वाली वोटिंग को अगली तारीख तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। इससे पहले मेयर चुनने की दो कोशिश नाकाम रही थी। मेयर के पद के लिए जहां बीजेपी ने रेखा गुप्ता को अपना प्रत्याशी बनाया है, वहीं आप की ओर से शैली ओबरॉय मेयर पद की उम्मीदवार है।
सोमवार को मेयर चुनाव को लेकर जिस तरह की परिस्थितियां खड़ी हुई है, उससे समस्या अब लंबी होने वाली है। एक्सपर्ट्स के अनुसार एमसीडी एक्ट में भी ऐसी किसी समस्याओं का कोई हल नहीं बताया गया है। तो आइए आपको बताते है कि दिल्ली को उसका अगला मेयर मिलने के क्या क्या रास्ते हो सकते है –
एमसीडी में म्युनिसिपल सेक्रेटरी रहे एक अधिकारी के अनुसार 6 फरवरी को मेयर चुनाव को लेकर जैसी परिस्थितियां खड़ी हुई है, इसका हल 1957 के एमसीडी एक्ट में भी नहीं है। हालांकि एमसीडी एक्ट 1957 में मेयर चुनाव की प्रक्रिया का उल्लेख तो किया गया है, लेकिन कितनी बार मेयर चुनाव कराया जा सकता है इसका कोई उल्लेख नहीं है। इस समस्या का सिर्फ कोर्ट के जरिए ही समाधान निकाला जा सकता है। अगर यह मामला कोर्ट में जाता है तो मेयर चुनाव की प्रक्रिया लंबी हो सकती है। ऐसे में संभव है कि दिल्ली को 6 महीने या एक साल के बाद भी मेयर मिल पाए।
मेयर चुनाव को लेकर सभी जानकारों की अलग अलग राय है। मेयर चुनाव के लिए बैठक कितनी बार बुलाई जाए, इसको लेकर कोई सटीक प्रावधान एमसीडी एक्ट में नहीं दिया गया है। अगर मेयर चुनाव की प्रक्रिाय दो या तीन बार में भी पूरी नहीं होती तो पीठासीन अधिकारी अगली बैठक बुलाने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन वर्तमान में एमसीडी में जिस तरह की परिस्थितियां पैदा हुई हैं, उसका समाधान नहीं होने वाला है। अगर सत्ता और विपक्ष दोनों सर्वदलीय बैठक कर इस समस्या का समाधान करना चाहते हैं, तो यह बेहतर उपाय है। इस मामले में पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा 6 फरवरी की बैठक से पहले सत्ता और विपक्ष दोनों दल के पार्षदों को सर्वदलीय बैठक के लिए पत्र लिखा था, लेकिन कोई भी बैठक के लिए तैयार नहीं हुआ।
बता दें, एमसीडी कोई विधायिका नहीं है, यह सिर्फ लोकल बॉडी है, जो संसद की ओर से बनाए गए एक्ट से संचालित की जाती है। इसका अपना एक्ट है। एमसीडी एक्ट में मेयर चुनाव एक या दो बार किन्ही कारणों से टल जाए तो अधिकतम कितनी बार कराया जाए, ऐसा कोई प्रावधान भी नहीं है।
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