होली के त्योहार का काउंटडाउन शुरू हो गया है. अगर इस बार कुछ अलग तरह से होली मनाना चाहते हैं तो निकल पड़े इन शहरों की ओर. दरअसल अलग-अलग रंगों से भरी लोक-संस्कृति और होली मनाने के तौर-तरीके मन में उल्लास और उमंग पैदा कर देते हैं. इनखबर.कॉम आपको बताने जा रहा है ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में जहां जाने से पहले पिचकारी और रंग लीजिए और बेफिक्र होकर निकल जाइए अपनी इस होली को ताउम्र यादगार बनाने के लिए.
नई दिल्लीः रंगों के त्योहार होली में महज चंद दिन बाकी हैं. जगह-जगह होली की तैयारियां की जा रही हैं. देश में कई शहर ऐसे हैं जहां रंगों के इस त्योहार को मनाने का अपना अलग ही मजा है. अलग-अलग रंगों से भरी लोक-संस्कृति और होली मनाने के तौर-तरीके मन में उल्लास और उमंग पैदा कर देते हैं. इनखबर.कॉम आपको बताने जा रहा है ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में जहां जाने से पहले पिचकारी और रंग लीजिए और बेफिक्र होकर निकल जाइए अपनी इस होली को ताउम्र यादगार बनाने के लिए.
बरसाना, उत्तर प्रदेश- बरसाना में खेली जाने वाली लट्ठमार होली के बारे में तो आपने सुना ही होगा. लट्ठमार होली के साक्षी बनने के लिए हर साल यहां लाखों लोग आते हैं. कृष्णनगरी में नंदगांव और बरसाना के लोग मिलकर होली का त्योहार मनाते हैं. नंदगांव यानी भगवान कृष्ण की लीला स्थली. नंदगांव राधारानी के गांव बरसाना से केवल 8 किलोमीटर दूर है. नंदगांव के लड़के बरसाना जाते हैं और लड़कियां उनके पीछे लठ लेकर भागती हैं और उन्हें प्यार से मारती हैं. लड़के अपने बचाव के लिए ढाल का इस्तेमाल करते हैं.
होला मोहल्ला, पंजाब- होला मोहल्ला में सिखों द्वारा खेली जाने वाली होली भी बेहद खास होती है. यहां स्थित आनंदपुर साहिब में होली के मौके पर तीन दिवसीय त्योहार मनाया जाता है. इस दौरान सिख समुदाय के लोग रंगों के बीच मार्शल आर्ट का प्रदर्शन करते हैं. नगर कीर्तन होता है और इसमें अन्य तरह के रोमांचक प्रदर्शन किए जाते हैं. इसके साथ ही स्वादिष्ट व्यंजन जैसे हलवा, गुजिया और मालपुए आदि भी वितरित किए जाते हैं.
शांति निकेतन, पश्चिम बंगाल- शांति निकेतन में होली के त्योहार को बसंत उत्सव भी कहा जाता है. रबिंद्रनाथ टैगोर द्वारा इस बसंत उत्सव की बतौर वार्षिक कार्यक्रम शुरूआत की गई थी. इस दिन शांति निकेतन स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय के अधिकतर छात्र पीले रंगों के कपड़ों में दिखाई देते हैं. दूसरे राज्यों से यहां आने वाले लोगों के लिए यूनिवर्सिटी के छात्र रंगों का त्योहार मनाते हुए तरह-तरह के रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं.
वृंदावन, उत्तर प्रदेश- वृंदावन में विधवा महिलाओं के लिए हर साल होली का आयोजन किया जाता है. देश के कई कोनों से आई विधवाएं यहां रहती हैं या यूं कहें कि उनके परिजन इन्हें यहां छोड़ देते हैं. हमारे समाज में व्याप्त विषमताओं की वजह से किसी भी विधवा की जिंदगी से सभी रंगों को खत्म कर दिया जाता है लेकिन यहां विधवाओं के लिए होली का त्योहार उनकी जिंदगी में इन कुरीतियों का अंत करता है. कुछ साल पहले ही यहां स्थित पागल बाबा के मंदिर से विधवाओं की होली का चलन शुरू हुआ. अमूमन ये होली रंगों और फूलों की होती है. जीवन के रंगों से दूर विधवाओं को होली खेलते देखना बहुत सुंदर होता है. साल 2013 में शुरू हुआ ये कार्यक्रम वृंदावन की होली के सबसे लोकप्रिय कार्यक्रमों में शुमार हो गया.
हम्पी, कर्नाटक- उत्तर भारत की तरह दक्षिण भारत में होली का त्योहार इतने जोरो-शोरों से नहीं मनाया जाता है लेकिन कर्नाटक के हम्पी में होली खेलने का अलग मजा है. यहां इस त्योहार को पूरे जोश के साथ मनाया जाता है. खासकर विदेशी पर्यटक होली के इस मौके पर यहां आते हैं. हम्पी में होली का त्योहार बेहद लोकप्रिय हो गया है. यही वजह है कि स्थानीय लोग भी हर साल होली का इंतजार करते हैं. अबीर-गुलाल, नाच-गाने और तरह-तरह के पकवानों के बीच यहां होली का त्योहार मनाया जाता है.
मुंबई, महाराष्ट्र- मायानगरी मुंबई में होली मनाने का अंदाज बेहद जुदा है. यहां हर साल अलग-अलग जगहों पर दही-हांडी कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. रस्सी के सहारे बीच सड़कों पर दही या फिर मक्खन आदि से भरकर हांडी लटकाई जाती है. इसे फोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाया जाता है. लोगों की कई टीमें इसे फोड़ने की कोशिश करती हैं. आसपास के लोग उनपर रंग डालते हैं. उड़ते अबीर-गुलाल के बीच जो भी टोली हांडी फोड़ देती है उसे ‘होली किंग ऑफ द ईयर’ के खिताब से नवाजा जाता है. विजेता टीम को ईनाम भी मिलता है.
दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा का आरोप, गुब्बारे में वीर्य भरकर लड़कियों को मार रहे हैं मनचले
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