लखनऊ। प्रयागराज में रामनवमी के अवसर पर दरगाह पर भगवा लहराने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इसे लेकर मुस्लिमों में रोष है तो विपक्ष भी योगी सरकार को घेरने में लग गई है। इस मामले में भगवा फहराने वाले युवकों का कहना है कि उन्हें किसी बात का मलाल नहीं है। गाजी एक आक्रांता था तो उसका मजार भी प्रयागराज में नहीं रहना चाहिए।
जानिए पूरा मामला
बता दें कि रामनवमी पर काम महाराजा सुहेलदेव संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया। उन्होंने सालार मसूद गाजी की दरगाह पर भगवा झंडे लहराए। तीन युवक दीवारों के सहारे दरगाह की छत पर चढ़े और ॐ लिखे भगवा झंडा लहराते हुए जय श्री राम के नारे लगाए। इसकी अगुवाई कर रहे मनेंद्र प्रताप सिंह खुद को भाजपा कार्यकर्ता बताते हैं।
कौन है मनेंद्र प्रताप सिंह?
मनेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि सालार मसूद गाजी आक्रांता था। हिंदुओं के हत्यारे का दरगाह तीर्थराज प्रयाग में नहीं होनी चाहिए। इस दरगाह को तुरंत ध्वस्त करके हिंदुओं को सौंप देना चाहिए। घटना को लेकर DCP कुलदीप गुनावत ने कहा कि हम जांच कर रहे हैं। इस घटना को अंजाम देने वाले लोगों की तलाश की जा रही है। मनेंद्र प्रताप सिंह जिस तरह से सीना ठोककर दावा कर रहा है। पुलिस अब उसकी खोज में तेजी से जुट गई है।
DM को लिखा था पत्र
हंगामे के बाद महाराजा सुहेलदेव सम्मान सुरक्षा मंच का पत्र भी सामने आया है, जो जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर को दिया गया। पत्र में लिखा है कि तीर्थराज प्रयागराज की पावन धरती पर बहरिया के सिकंदरा में गाजी मियां (सैयद सालार गाजी) की अवैध मजार बनाई गई है। गाजी हिंदुओं का हत्यारा और आक्रमणकारी था। वह कभी सिकंदरा नहीं आया। फिर भी वक्फ बोर्ड ने जमीन पर कब्जे की नीयत से मजार बनवा दी। हिंदुओं की मांग है कि जल्द से जल्द वहां से मजार को हटाया जाए। मेला बंद किया जाए। मंदिर बनाकर शिव जी, सती और बड़े परिहार जी की पूजा की जाए।