जम्मू-कश्मीर/नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। इस बार के चुनाव से राजनीतिक दलों को बहुत उम्मीदें हैं। अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान जम्मू-कश्मीर में रिकॉर्ड 58 फ़ीसदी वोटिंग हुई थी। केंद्र सरकार का कहना है कि धारा 370 हटने के बाद से घाटी में हालत सुधरे हैं। 2020 से लेकर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में 6 करोड़ से अधिक टूरिस्ट आये। लेकिन सवाल उठता है कि क्या घाटी में माहौल सच में बदल गया है या फिर कश्मीरी पंडितों की कहानी फिर से दोहराई जाएगी। आज़ाद भारत का सबसे वीभत्स और खौफनाक बलात्कार घाटी में हुआ था। आज जानेंगे कश्मीरी हिन्दू गिरिजा टिक्कू की कहानी।
25 जून 1990 की तारीख थी। जब धार्मिक पहचान की वजह से सरकारी स्कूल में लैब असिस्टेंट रहीं 28 साल की गिरिजा टिक्कू को जिंदा आरा मशीन से काट दिया गया था। गिरिजा टिक्कू बंदीपोरा में अरिगाम की रहने वाली थीं। उस समय घाटी में हालात सही नहीं थे। स्थिति बिगड़ता हुआ देखकर वो अपने परिवार के साथ सुरक्षित जगह पर रहने चली जाती हैं। एक दिन उनके पास फ़ोन आता है कि स्कूल आकर वो अपना वेतन ले जाएं, स्थिति सामान्य है। .
गिरिजा को यकीन दिलाया जाता है कि वो सही सलामत घर चली जाएंगी। कोई नुकसान नहीं होगा। जब वह स्कूल पहुंची तो उन्हें सैलरी दे दिया जाता है। वहां से लौटते समय वो अपने एक मुस्लिम सहकर्मी के घर चली गईं। यहां से कुछ हथियारबंद लोग उन्हें उठाकर ले जाते हैं। इस्लामिक कट्टरपंथियों में उनकी आंखों पर पट्टी बांधी और कार में बैठा लिया। चलती कार में सभी ने बारी-बारी से उनका बलात्कार किया। उसमें से एक उनका सहयोगी था, जिसका आवाज गिरिजा पहचान गई और उसे उसके नाम से पुकारा। बलात्कारियों ने गिरिजा को आरा मशीन में से दो टुकड़ों में काट दिया। उनके शव को सड़क पर ले जाकर फेंक दिया।
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