जयपुर। अजमेर में दो धर्मों के बिच फिर से विवाद को बढ़ाने कि कोशिश किया जा रहा है। बता दें , अजमेर में मुसलमानो के सूफी संत खाव्जा मोईनुद्दीन चिस्ती की दरगाह है और यहां पर हर साल उर्स का आयोजन बड़ी धूम – धाम के साथ किया जाता है। लेकिन अब हिन्दू संगठनों ने […]
जयपुर। अजमेर में दो धर्मों के बिच फिर से विवाद को बढ़ाने कि कोशिश किया जा रहा है। बता दें , अजमेर में मुसलमानो के सूफी संत खाव्जा मोईनुद्दीन चिस्ती की दरगाह है और यहां पर हर साल उर्स का आयोजन बड़ी धूम – धाम के साथ किया जाता है। लेकिन अब हिन्दू संगठनों ने इस मामले को लेकर नाराजगी जताई है , उनका कहना है की उर्स के दौरान अजमेर के सभी चौराहों पर ‘ख्वाजा की नगरी में आपका स्वागत है’ लिखा हुआ बैजनार पोस्टर लगाने का विरोध किया गया है। जानकारी के मुताबिक , हिन्दू समाज की और से ज्ञापन सौंपकर ये मांग की गई है कि अजमेर सम्राट पृथ्वीराज चौहान की नगरी है और ऐसे में किसी भी चीज़ का बदलाव ना किया जाए। उन्होंने अंत में कहा कि अगर कोई भी बदलाव करने की कोशिश करता है तो जिला प्रशासन को भारी विरोध का सामना करना पड़ेगा।
बता दें , हिन्दू समाज नाम के संगठन ने आगे कहा कि सभी धर्मों के सद्भाव की नगरी है अजमेर। मिली जानकारी के मुताबिक , अजमेर के नाम में किसी भी तरीके का छेड़छाड़ नही करने देंगे। संगठन के कार्यकर्ताओं का कहना है कि अजमेर का गौरवशाली इतिहास रहा है और राजा अजयपाल के द्वारा इस शहर को बसाया गया है और इसके बाद इस शहर को पृथ्वीराज चौहान की नगरी के रूप में पहचाना जाता है। ऐसे में इस शहर के इंट्री पॉइंट पर किसी भी तरह का बदल किया जाता है तो फिर सकल हिन्दू समाज संगठन इसका विरोध करेगा।
जानकारी के मुताबिक , अजमेर दरगाह अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने प्रशासन से मांग की है कि अजमेर को ख्वाजा की नगरी घोषित किया जाए। साथ ही अजमेर के चारों एंट्री पॉइंट पर इस संबंध में पोस्टर लगाकर वहां उर्स के लिए पहुंचने वाले लोगों का स्वागत करने की इजाजत दी जाए। चिश्ती की इस मांग पर अजमेर के सकल हिंदू समाज ने इस मांग पर जोरदार आपत्ति जताई है। संगठन ने कहा कि शहर कि शांति व सौहार्द को बिगाड़ने के लिए इस तरह की मांग की जा रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
दिल्ली का अगला मेयर, गुजरात चुनाव और फ्री रेवड़ी, मनीष सिसोदिया ने बताए सारे राज!
India News Manch पर बोले मनोज तिवारी ‘रिंकिया के पापा’ पर डांस करना सबका अधिकार