लखनऊ. Hindu-Muslim Marriage in UP: उत्तर प्रदेश सरकार की सामूहिक विवाह योजना को लेकर मुस्लिम नेताओं ने न्यायिक जांच की मांग की है. इन नेताओं का कहना है कि 4 अनाथ मुस्लिम लड़कियों की हिंदू लड़कों से हिंदू रीति-रिवाजों के तहत जिला प्रशासन ने महानगर कल्याण मंडप ने बुधवार को शादी कराई. मंगलवार को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत उनकी कोर्ट में शादी कराई गई. इसके बाद उन्होंने बुधवार को मंत्रोच्चार और अग्नि के सामने सात फेरे लिए व एक-दूसरे को माला पहनाई. उनके अलावा 27 हिंदू कपल्स भी विवाह के बंधन में बंध गए.
जब इन लड़कियों की उम्र 6-10 की थी, तब उन्हें मोतीनगर के सरकारी शेल्टर होम में भर्ती कराया गया था. चीफ डिवेलपमेंट अॉफिसर (सीडीओ) मनीष बंसल ने बुधवार को कहा, लड़कियों का नाम भले गी मुस्लिम हो, लेकिन उन्होंने शेल्टर होम में रहते हुए कभी किसी धर्म को नहीं माना. शादी के बाद अब वे अपने पति के धर्म को मानेंगी.
हालांकि ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद राशिद फरांगी महाली ने कहा कि इस बात की न्यायिक जांच होनी चाहिए कि हिंदू लड़कों से शादी करने से पहले लड़कियों की रजामंदी ली गई थी या नहीं. उन्होंने कहा, ”शादी से पहले मुस्लिम धर्मगुरुओं से जिला प्रशासन ने बात क्यों नहीं की. इस मामले में हम हर कानूनी संभावना तलाशेंगे.” वहीं शिया धर्मगुरु मौलाना सैफ अब्बास ने भी न्यायिक जांच की मांग की और कहा कि एेसी चीजों से मुस्लिम और हिंदुओं के रिश्तों पर असर पड़ सकता है. अगर शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत हो गई थी तो फिर हिंदू रीति-रिवाजों से शादी करने का क्या मतलब था.
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