शिमला: हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने सत्ता में आते ही भाजपा सरकार के वक्त आखिरी 6 महीने में खोले गए संस्थानों को बंद करने का निर्णय लिया. हालांकि डिनोटिफाई किए जा रहे संस्थानों में स्वास्थ्य संस्थानों और शिक्षण संस्थानों को बाहर रखा गया था. प्रदेश सरकार ने इस संबंध […]
शिमला: हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने सत्ता में आते ही भाजपा सरकार के वक्त आखिरी 6 महीने में खोले गए संस्थानों को बंद करने का निर्णय लिया. हालांकि डिनोटिफाई किए जा रहे संस्थानों में स्वास्थ्य संस्थानों और शिक्षण संस्थानों को बाहर रखा गया था. प्रदेश सरकार ने इस संबंध में अधिकारियों से रिपोर्ट मांंग की थी. रिपोर्ट आने के बाद अब प्रदेश सरकार ने 19 कॉलेजों को बंद करने का निर्णय लिया है. शिक्षा विभाग की प्रतिवेदन के आधार पर हिमाचल सरकार ने यह निर्णय लिया है।
भाजपा सरकार के वक्त खोले गए 19 कॉलेजों को डिनोटिफाई कर दिया है. हिमाचल सरकार ने इन संस्थानों में कम पंजीकरण के चलते यह निर्णय लिया है. राजकीय संस्कृत महाविद्यालय जगतसुख, गवर्नमेंट कॉलेज बरूना, राजकीय महाविद्यालय चंडी, राजकीय महाविद्यालय ममलीग, राजकीय महाविद्यालय सतौन, राजकीय संस्कृत महाविद्यालय सिंहला, गवर्नमेंट कॉलेज जलोग, गवर्नमेंट कॉलेज बागा चनोगी, राजकीय महाविद्यालय पंडोह, राजकीय महाविद्यालय पांगना, राजकीय महाविद्यालय चढ़ियार, राजकीय महाविद्यालय रिर्कमार, गवर्नमेंट कॉलेज कोटला, गवर्नमेंट कॉलेज ब्रांदा, राजकीय महाविद्यालय लम्बलू, राजकीय महाविद्यालय गलोड़, राजकीय महाविद्यालय मसरूंद, राजकीय महाविद्यालय बलहसीना और राजकीय महाविद्यालय स्वारघाट को डिनोटिफाई किया गया है।
हालांकि हिमाचल सरकार का तर्क है कि बेवजह खोले गए संस्थानों से अर्थव्यवस्था पर पांच हजार करोड़ का भार पड़ रहा है. हिमाचल सरकार पर पहले ही 75 हजार करोड़ रुपए का बोझ है. ऐसे में इन संस्थानों को खोलकर पूर्व सरकार ने आर्थिक स्थिति को खराब करने का काम किया है. कांग्रेस सरकार का कहना है कि पूर्व बीजेपी सरकार ने केवल चुनावी लाभ लेने के लिए इन संस्थानों को उस समय खोला था।
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