नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने विधानसभा मानसून सत्र के तीसरे दिन घोषणा की कि वह और उनके मुख्य सचिव 2 महीने का वेतन नहीं लेंगे। सीएम द्वारा यह कदम हिमाचल प्रदेश के आर्थिक संकट से निपटने के लिए उठाया गया है। दरअसल, हिमाचल प्रदेश को अभी […]
नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने विधानसभा मानसून सत्र के तीसरे दिन घोषणा की कि वह और उनके मुख्य सचिव 2 महीने का वेतन नहीं लेंगे। सीएम द्वारा यह कदम हिमाचल प्रदेश के आर्थिक संकट से निपटने के लिए उठाया गया है। दरअसल, हिमाचल प्रदेश को अभी खर्चे और वेतन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। राज्य की मौजूदा आर्थिक स्थिति को देखते हुए सीएम ने अपने मंत्रियों से आग्रह किया कि वे स्वेच्छा से वेतन और भत्ता न लें।
पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने से भी राज्य की उधार लेने की क्षमता में करीब 2,000 करोड़ रुपये की कमी आई है। इन सभी चुनौतियों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि मौजूदा आर्थिक संकट से उबरना आसान नहीं होगा। उन्होंने विधानसभा को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार राजस्व बढ़ाने और अनुत्पादक व्यय को कम करने के प्रयास कर रही है। लेकिन इन प्रयासों के परिणाम सामने आने में समय लगेगा।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि वर्ष 2023-24 में रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट 8,058 करोड़ रुपये था, जो इस वर्ष घटाकर 6,258 करोड़ रुपये कर दिया गया है। यानी 1,800 करोड़ रुपये की कमी आई है। अगले वर्ष (2025-26) में इसमें 3,000 करोड़ रुपये की और कमी आने का अनुमान है, जिससे यह घटकर केवल 3,257 करोड़ रुपये रह जाएगा।
सुक्खू ने आपदा उपरांत आवश्यकता आकलन (PDNA) का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इसके तहत केंद्र से हिमाचल को 9,042 करोड़ रुपये की राशि नहीं मिली है। इसके अलावा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के तहत करीब 9,200 करोड़ रुपये का अंशदान पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRD) से मिलना बाकी है। इसके लिए केंद्र सरकार से बार-बार आग्रह करने के बावजूद अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
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