Hijab Row Hearing: बेंगलुरु, Hijab Row Hearing: देश में बढ़ते हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट में छठें दिन भी फैसला नहीं हो पाया है, इस मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट में छठे दिन सुनवाई के दौरान मुस्लिम छात्राओं का पक्ष रख रहे वकील ने पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि स्कूल-कॉलेजों में […]
बेंगलुरु, Hijab Row Hearing: देश में बढ़ते हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट में छठें दिन भी फैसला नहीं हो पाया है, इस मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट में छठे दिन सुनवाई के दौरान मुस्लिम छात्राओं का पक्ष रख रहे वकील ने पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि स्कूल-कॉलेजों में छात्राओं को चूड़ी और क्रॉस पहनने की इजाजत है तो फिर हिजाब को मुद्दा क्यों बनाया जा रहा है. हिजाब विवाद के मसले पर बुधवार की सुनवाई पूरी हो गई है, अब गुरुवार को फिर ढाई बजे मामले की सुनवाई की जाएगी.
हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट में छठे दिन सुनवाई के दौरान मुस्लिम छात्राओं का पक्ष रख रहे वकील ने पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि आखिर मुस्लिम छात्राओं को स्कूल कॉलेजों में हिजाब पहनने से अब क्यों रोका जा रहा है, स्कूल कॉलेजों में जब हिंदू छात्राएं चूड़ी पहनकर आ सकती हैं, ईसाई छात्राएं क्रॉस धारण कर सकती है तो फिर हिजाब को लेकर विवाद क्यों हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकारी आदेश में किसी अन्य धार्मिक प्रतीकों की बात नहीं की गई है, तब आखिर हिजाब ही क्यों? क्या यह विवाद मजहब के चलते ही नहीं है. वकील ने आगे बताया कि मुस्लिम लड़कियों से भेदभाव पूरी तरह मजहब पर ही आधारित है. बता दें कि हिजाब विवाद को लेकर बुधवार की सुनवाई पूरी हो गई है, अब गुरुवार को फिर ढाई बजे मामले की सुनवाई की जाएगी.
हिजाब की मांग करने वाली छात्राओं की ओर से पेश वकील ने कहा कि यदि स्कूल या कॉलेज परिसर में हिजाब को प्रतिबंधित करने को लेकर कोई आदेश जारी किया गया है तो उस संबंध में छात्राओं के परिजनों को एक साल पहले ही इसकी जानकारी देनी थी. वकील रविकुमार वर्मा ने आगे एजुकेशन एक्ट का हवाला देते हुए स्कूल कॉलेज में हिजाब बैन करने के नियम के बारे में बताने को कहा. उन्होंने आगे कहा कि यह कानून नहीं बल्कि एक नियमावलि है, जिसमें कहा गया है कि प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में कोई यूनिफॉर्म नहीं है.