SC में हिजाब पर नई दलील- कृपाण की तरह सुरक्षा देता है हिजाब

नई दिल्ली. कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, इस दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि शिक्षण संस्थानों को अपने हिसाब से शिक्षण संस्थान में यूनिफॉर्म तय करने का हक़ है और हिजाब इन सब चीज़ से अलग है. अब इस मामले […]

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SC में हिजाब पर नई दलील- कृपाण की तरह सुरक्षा देता है हिजाब

Aanchal Pandey

  • September 15, 2022 8:26 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली. कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, इस दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि शिक्षण संस्थानों को अपने हिसाब से शिक्षण संस्थान में यूनिफॉर्म तय करने का हक़ है और हिजाब इन सब चीज़ से अलग है. अब इस मामले की अगली सुनवाई शीर्ष अदालत ने 19 सितंबर को होनी है, वहीं अदालत में आज की सुनवाई के दौरान भी कई दिलचस्प तर्क देखने को मिले. Live Law की रिपोर्ट के मुताबिक हिजाब बैन के खिलाफ दायर याचिकाओं का पक्ष रखने वाले वकील डॉ. कोलिन गोंसाल्विस ने प्रतिबंध को बरकरार रखने के कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया और तर्क दिया कि कृपाण और पगड़ी की तरह हिजाब भी सुरक्षा देता है.

जनेऊ से हिजाब की तुलना न किए जाने पर उठा सवाल

डॉ. कोलिन गोंसाल्विस ने हिजाब बैन पर कहा कि अदालत ने कहा था कि हिजाब इस्लाम का हिस्सा नहीं है, इसलिए शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि अदालत ने अपनी टिप्पणियों से मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है और उसे गलत ढंग से पेश किया है. यही नहीं उनकी ओर से तर्क दिया कि हिजाब मुस्लिम लड़कियों को ठीक उसी तरह सुरक्षा देता है जैसे पगड़ी और कृपाण सिखों को प्रोटेक्शन देती है. बता दें कि इससे पहले एक दिन सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि कृपाण, रुद्राक्ष, कड़े या फिर जनेऊ से हिजाब की तुलना नहीं की जा सकती, कोर्ट ने कहा था कि कृपाण, रुद्राक्ष, कड़े या फिर जनेऊ को कपड़ों के ऊपर नहीं पहना जाता है इसलिए इसकी हिजाब से तुलना नहीं की जा सकती.

गोंसाल्विस ने अदालत में कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि याचिका दाखिल करने वाली लड़कियां यह साबित नहीं कर सकी हैं कि बैन से पहले भी वह शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनती थी लेकिन अदालत ने यह फैसला देते हुए इस बात को नजरअंदाज कर दिया कि सदियों से मुस्लिम लड़कियां इसे पहनती आ रही हैं.
हालांकि, इसपर केस की सुनवाई करने वाली बेंच में शामिल जस्टिस हेमंत गुप्ता ने वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि केस का जो आधार होता है, उस पर ही अदालत में सुनवाई होती है.

 

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