उत्तर प्रदेश के लखनऊ में, अधिवक्ता मोतीलाल यादव द्वारा दायर जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने गंभीर रुख अपनाया है।
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के लखनऊ में, अधिवक्ता मोतीलाल यादव द्वारा दायर जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने गंभीर रुख अपनाया है। कोर्ट ने चीन से आने वाले खतरनाक लहसुन की बिक्री पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है, जबकि यह लहसुन 2014 से देश में प्रतिबंधित है।
याचिका में यह कहा गया है कि चीन का लहसुन तस्करी के जरिए देश में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। इस लहसुन पर प्रतिबंध लगाने का कारण यह बताया गया है कि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसमें कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग किया जाता है, और इसके फंगस युक्त होने का भी खतरा है।
हाईकोर्ट ने खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों को भी कोर्ट में तलब किया है। न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओमप्रकाश शुक्ल ने सरकार से पूछा है कि इस प्रतिबंधित लहसुन की आवक रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ के सब्जी मंडी में चीनी और भारतीय लहसुन की स्थिति की जांच की गई। कुछ दुकानों पर केवल भारतीय लहसुन उपलब्ध था, जबकि एक दुकान पर दोनों प्रकार के लहसुन मिल रहे थे। दुकान के मालिक ने बताया कि उसने समाचार में पढ़ा कि चीनी लहसुन पर बैन लगाया जा रहा है, लेकिन अभी तक यह आसानी से बिक रहा था।
एक डाइटिशियन के अनुसार, चीनी लहसुन सामान्यतः भारतीय लहसुन से बड़ा और साफ दिखता है। इसे साफ करने के लिए ब्लीच का उपयोग किया जाता है, जिससे लहसुन की सतह पर लगी गंदगी हटाई जाती है। लेकिन इस प्रक्रिया के कारण, ब्लीच का कुछ हिस्सा लहसुन के अंदर भी चला जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। यह मामला सरकार के लिए चिंता का विषय बन गया है, और अब देखना यह है कि सरकार इस स्थिति से कैसे निपटती है।
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