रायपुर। छत्तीसगढ़ में आदिवासी इलाकों में माड़िया जाति के लोग रहते हैं। इन लोगों का अपना एक अलग परंपरा है। इनमें लड़के-लड़कियां अपना जीवन साथी खुद चुनते हैं। समाज में युवक-युवतियों को रात में भी साथ बसेरा करने का छूट मिला हुआ है। माड़िया जाति देश के कई जनजातीय समुदायों में काफी प्रसिद्ध हैं। आज हम इनके परंपरा के बारे में जानेंगे कि आखिर ये लोग शादी कैसे करते हैं।
ये लोग घोटुल नामक एक प्रथा निभाते हैं। जिसमें आदिवासी लड़के-लड़कियां रात में साथ में बसेरा करते हैं। यह परंपरा छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले और उसके कुछ इलाकों में मनाया जाता है। गाँव के किनारे में मिट्टी की एक झोपड़ी होती है, इसे घोटुल कहते हैं। यह एक खुला मंडप की तरह होता है। यहां पर युवक और युवतियों को साथ में रखा जाता है। उन्हें जीवन के बारे में, एक दूसरे की भावनाओं और शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के बारे में सिखाया जाता है।
अब यह परंपरा खत्म होने के कगार पर है क्योंकि माओवादियों को यह पसंद नहीं आ रहा। नक्सली गतिविधियों को अंजाम देने वाले माओवादियों का कहना है कि लड़के-लड़कियों को इतनी खुली छूट देना सही नहीं है। साथ ही इस प्रथा के जरिए लड़कियों का शारीरिक शोषण हो रहा है। साथ ही इन इलाकों में अब बाहरी लोगों का भी प्रवेश बढ़ गया है। वो लोग तस्वीरें लेने लगते हैं और वीडियो बना लेते हैं।
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