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40 लाख की नौकरी छोड़कर बने नागा साधू, महाकुंभ के ये संत बोलते हैं फर्राटेदार अंग्रेजी, डिग्रियां जानकर होश उड़ जाएंगे

आज हम आपको निरंजन अखाड़े के संत दिगंबर कृष्ण गिरी जी के बारे में बताएंगे। दिगंबर कृष्ण गिरी एसी फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं की बड़े बड़े डिग्री धारी उनके आगे घुटने टेक दें।

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M Tech engineer Naga Sadhu
  • January 9, 2025 11:15 am Asia/KolkataIST, Updated 11 hours ago

लखनऊ। प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ में लाखों साधू संतों ने अपना डेरा जमा लिया है। महाकुंभ में एक से बढ़कर एक नागा साधु देखने को मिल रहे हैं। आज हम आपको निरंजन अखाड़े के संत दिगंबर कृष्ण गिरी जी के बारे में बताएंगे। लोगों को लगता है साधू संत अनपढ़ होते हैं और केवल भक्ति में लगे रहते है। लेकिन ऐसे कई साधू हैं जिन्होंने जीवन में सफलता पाकर सब कुछ छोड़ दिया। ऐसे ही हैं संत दिगंबर जी। दिगंबर कृष्ण गिरी एसी फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं की बड़े बड़े डिग्री धारी उनके आगे घुटने टेक दें।

40 लाख की नौकरी छोड़ी

दरअसल दिगंबर कृष्ण गिरि एमटेक इंजीनियर हैं, वे कर्नाटक यूनिवर्सिटी के टॉपर थे, लेकिन 15 साल पहले हरिद्वार में नागा साधुओं की भव्यता और आध्यात्मिकता से प्रभावित होकर उन्होंने 40 लाख रुपये सालाना पैकेज वाली एक मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ दी और संन्यास की दीक्षा ले ली। 55 वर्षीय नागा संन्यासी दिगंबर कृष्ण गिरि मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले हैं। उन्होंने कर्नाटक यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। वे एमटेक में टॉपर थे, उन्होंने कई बड़ी कंपनियों में काम किया।

अपने हाथों से अपना पिंडदान किया

साल 2010 में जब हरिद्वार में कुंभ का आयोजन हो रहा था, तो उन्हें एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में वहां जाने का मौका मिला। यहां वे नागा संन्यासियों के अपने धर्म के प्रति समर्पण से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी आरामदायक और आलीशान नौकरी छोड़कर अपना बचा हुआ जीवन सनातन को समर्पित करने का निर्णय लिया। पहले उन्होंने कुछ दिन शैव संप्रदाय के निरंजनी अखाड़े के नागा साधुओं की सेवा की, इसके बाद खुद भी सब कुछ त्यागकर जीवित रहते हुए अपने हाथों से पिंडदान कर संन्यास की दीक्षा ले ली। दिगंबर कृष्ण गिरि ने महाकुंभ में अपने निरंजनी अखाड़े के साथ कई अन्य अखाड़ों की पेशवाई में हिस्सा लिया है।

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