हरियाणा। 2004 बैच के एचसीएस (हरियाणा सिविल सेवा) अधिकारियों को हरियाणा सरकार की सेवा समाप्त करने के नोटिस पर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने यथास्थिति का आदेश जारी रखा है. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 7 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी है. इसके साथ ही इन अधिकारियों को राहत अगली सुनवाई तक जारी रहेगी.
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में बहस अभी खत्म नहीं हुई है. ऐसे में अंतरिम आदेश अगले आदेश तक जारी रहेगा. इस मामले में कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने का आदेश दिया था कि वह एचसीएस अधिकारियों को हटाने के आदेश के संबंध में नोटिस पर रोक क्यों न लगाएं.
इस मामले में याचिका दायर करने वाले एचसीएस अधिकारियों ने उन्हें आपत्तिजनक, नियमों और अपमानजनक के रूप में सेवा देने के सरकार के कदम को रद्द करने की मांग की है. एचसीएस (कार्यकारी शाखा) के अधिकारियों की छह साल की नियमित सेवा के बावजूद उन्हें हटाने के लिए 27 नवंबर को नोटिस जारी किया गया था.
याचिका दायर करने वाले एचसीएस अधिकारियों के अनुसार, वह भर्ती में बेदाग उम्मीदवार रहे हैं और पूरी भर्ती को रद्द करना उनके लिए अन्याय होगा.
याचिका में कहा गया है कि उनका निष्कासन उच्च न्यायालय के 27 फरवरी, 2016 के आदेश का उल्लंघन है. फिर राज्य सरकार के फैसले के मद्देनजर बेदाग उम्मीदवारों को अलग कर दिया गया और नियुक्ति की पेशकश की गई. फरवरी 2016 में पीठ ने याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति के लिए आदेश जारी किए थे.
याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि कारण बताओ नोटिस न केवल अवैध है बल्कि उच्च न्यायालय के आदेश के विपरीत है. जब हाई कोर्ट ने उनके मामले पर फैसला सुनाया है और उन्हें उसी फैसले के तहत नियुक्त किया गया है, तो राज्य सरकार किस आधार पर उनकी सेवा समाप्त कर सकती है.
एक मामले में मुख्य सचिव ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि 2004 में एचसीएस (कार्यकारी शाखा) और संबद्ध सेवाओं के चयन की पूरी प्रक्रिया खराब और अनियमितताओं से भरी थी. इस प्रक्रिया के माध्यम से नियुक्त सभी अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.
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