बेंगलुरू : दक्षिणी राज्य कर्नाटक में 5वीं और 8वीं कक्षा के लिए बोर्ड स्तरीय मूल्यांकन की शिक्षा विभाग की योजना परवान नहीं चढ़ पाई है. 5वीं और 8वीं कक्षा के लिए बोर्ड स्तर पर मूल्यांकन शुरू करने से संबंधित शिक्षा विभाग के सर्कुलर शुक्रवार को उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिए. अदालत में शिक्षा विभाग के इन कदमों को गैर सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त स्कूलों के संगठन और पंजीकृत गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के प्रबंधन संघ द्वारा चुनौती दी गई थी.
जज प्रदीप सिंह येरुर की एकल न्यायाधीश पीठ ने शुक्रवार को, 13 दिसंबर, 2022 और 4 जनवरी, 2023 के जन निर्देश आयुक्त और राज्य शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए सर्कुलर को रद्द कर दिया. जज प्रदीप सिंह येरूर ने कहा कि सरकार के ये सर्कुलर RTE की धारा 38 (4) के तहत निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करते हुए जारी किए जाने चाहिए. इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित मूल्यांकन और अंक निर्धारित करने का जो नया तरीका है वह एक्ट की धारा 16 के विपरीत है.
हाईकोर्ट ने पाया कि इस अधिनियम के तहत राज्य सरकार मूल्यांकन से संबंधित नियम-विनियम बनाने के लिए सशक्त है. लेकिन इसके लिए निर्धारित प्रक्रिया का राज्य सरकार को पालन करना जाना चाहिए. अधिनियम की धारा 38 (4) के अनुसार बनाए गए प्रत्येक नियम या अधिसूचना को राज्य विधानसभाओं के समक्ष रखे जाने के बाद बनाया जाएगा.
सरकारी वकील ने कहा कि सरकार कोई नियम या अधिसूचना जारी नहीं कर रही है उनके इस बात को न्यायालय ने खारिज कर दिया. वकील ने कहा कि राज्य सरकार पाठ्यक्रम स्कूलों वाले छात्रों के फायदे के लिए सिर्फ मूल्यांकन का तरीका तय कर रही थी ताकि छात्र कम नंबर आने पर हतोत्साहित न हो. ऐसे में RTE की धारा 38 लागू नहीं होती. न्यायालय ने कहा कि बाहरी एजेंसी का स्कूली गतिविधियों में दखल होता है.
न्यायालय ने सरकारी सर्कुलर रद्द कर दिया. न्यायालय ने सरकार की इसके लिए तारीफ करते हुए कहा कि सरकार शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए कदम उठा रही है. न्यायालय ने कहा कि सरकार छात्रों की सहूलियत के लिए अंक देने में नियंत्रण और संतुलन लाने का प्रयास कर रही है. न्यायालय ने कहा कि इस समय हर गली-मोहल्ले में स्कूल खुल रहे है ऐसे में यह जरूरी है कि छात्रों के मूल्यांकन के लिए कोई तंत्र हो.
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