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HC hearing on Hijab Row: कोर्ट ने कहा ‘इस्लाम की प्रथाओं के तहत नहीं आता हिजाब’- अब 21 फरवरी को होनी है अगली सुनवाई

HC hearing on Hijab Row: बेंगलुरु, HC hearing on Hijab Row: कर्नाटक से चल रहा हिजाब विवाद अब उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मुंबई भी पहुँच चुका है. कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने राज्य में चल रहे हिजाब विवाद (Hijab Row) पर सुनवाई की, लेकिन आज भी इस मसले पर फैसला नहीं हो पाया. अब […]

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HC hearing on Hijab Row: कोर्ट ने कहा ‘इस्लाम की प्रथाओं के तहत नहीं आता हिजाब’- अब 21 फरवरी को होनी है अगली सुनवाई
  • February 18, 2022 6:02 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

HC hearing on Hijab Row:

बेंगलुरु, HC hearing on Hijab Row: कर्नाटक से चल रहा हिजाब विवाद अब उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मुंबई भी पहुँच चुका है. कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने राज्य में चल रहे हिजाब विवाद (Hijab Row) पर सुनवाई की, लेकिन आज भी इस मसले पर फैसला नहीं हो पाया. अब इस मामले पर 21 फरवरी को अगली सुनवाई होनी है.

सीएम बसवराज बोम्मई ने छात्रों से की कोर्ट के अंतरिम आदेश का पालन करने की अपील

राज्य में हिजाब पर विवाद बढ़ते ही जा रहा है, जिसके चलते छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है. इस मामले में राज्य की छात्राएं हिजाब विवाद पर आने वाले फैसले का इंतजार कर रही हैं. बता दें अब तक छात्राओं को शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक पोशाक पहनने की अनुमति नहीं है. वहीं, इस मसले पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) ने छात्रों को कोर्ट के अंतरिम आदेश का पालन करने और एकजुट रहने की अपील की है. सीनियर एडवोकेट एएम डार ने कोर्ट में 5 छात्राओं की ओर से नई याचिका दायर की है, जिसपर 21 फरवरी को सुनवाई होनी है.

इस्लाम की प्रथाओं के तहत नहीं आता हिजाब- अधिवक्ता रविवर्मा कुमार

कर्नाटक हाईकोर्ट में हिजाब को लेकर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता रविवर्मा कुमार ने एक समान रंग के दुपट्टे पहनने की अनुमति के लिए दायर आवेदन का उल्लेख करते हुए कहा कि समान के दुपट्टे पहने पर राज्य ने आपत्ति दर्ज नहीं की है, फिर हिजाब पर क्यों. इसपर कर्नाटक राज्य की ओर से एडवोकेट जनरल ने बहस शुरू की शुरुआत करते हुए कहा कि, राज्य सरकार ने यह स्टैंड लिया है कि हिजाब इस्लाम में आवश्यक धार्मिक प्रथाओं के तहत नहीं आता है. एडवोकेट जनरल ने कर्नाटक हाईकोर्ट को बताया कि हिजाब पहनने से संबंधित मुद्दे धार्मिक हो गए और इसलिए राज्य के हस्तक्षेप की मांग की गई. उन्होंने कहा कि इस हिजाब को लेकर राज्य में विरोध और अशांति जारी थी, इसलिए 5 फरवरी का आक्षेपित आदेश पारित किया गया.

 

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