अहमदाबादः पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग कर रहे पाटीदार अमानत आंदोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल गुजरात विधानसभा चुनाव में बुरी तरह फेल हो गए हैं. तमाम कोशिशों के बाद भी वह कांग्रेस के खाते में जीत नहीं ला पाई है. वहीं दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर गुजरात विधानसभा में जगह बनाने में सफल रहे हैं. पहली बार चुनाव लड़ रहे जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर ने जीत दर्ज की है.गौर करने की बात है कि तीनों ही युवा चेहरे हैं फिर भी गुजरात की जनता ने हार्दिक पटेल को वोट न देकर जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर को जिताया है.
हार्दिक पटेल का जादू गुजरात की जनता पर नहीं चल पाया. गुजरात में करीब 20 प्रतिशत पटेल वोटर हैं लेकिन फिर भी हार्दिक कांग्रेस के पक्ष में बहुमत हासिल करने में नाकाम रहे. चुनाव से पहले व दौरान आईं हार्दिक पटेल की सेक्स सीडियों के कारण जनता ने उनसे दूरी बनाई. हार्दिक पटेल का हार कारण उनके संगठन (पास) में दरार आना भी है. कई लोगों ने चुनाव के दौरान उनका साथ छोड़ा. जिसका नुकसान उन्हें भुगतना पड़ा. चुनाव से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात को लेकर नाराज हार्दिक के साथियों ने उनसे दूरी बनाई और भाजपा में शामिल होते गए. कांग्रेस के साथ सहमति में देरी के कारण भी पाटीदार समुदाय में गलत संदेश दिया. बता दें कि गुजरात में 20 फीसदी पाटीदार हैं, जिसमें 40 फीसदी कड़वा पटेल और 60 फीसदी लेउवा पटेल हैं. हार्दिक खुद कड़वा पटेल हैं, वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू वघाणी लेउवा पटेल है. वहीं आंकड़ों की बात करें तो जहां एक तरफ युवा पटेलों ने हार्दिक का साथ दिया, वहीं बुजुर्ग पाटीदार बीजेपी के साथ थे.
युवा चेहरों में से एक कांग्रेस के नेता अल्पेश ठाकोर ने राधनपुर सीट से चुनाव जीत लिया. बता दें कि अल्पेश ठाकोर गुजरात का ओबीसी चेहरा है उनकी छवि सामाजिक कार्यकर्ताओं के रूप में उभरी है जिसका फायदा उन्हें गुजरात विधानसभा चुनाव में मिला है. कांग्रेस में शामिल हुए अल्पेश ठाकोर की पिछड़ा वर्ग में जबर्दस्त अपील है वहीं राज्य में मादक पदार्थों के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने के कारण भी उनकी छवि लोगों में काफी अच्छी बनी हुई है. वहीं उन्होंने शराबबंदी पर भी समर्थन किया था.
गुजरात विधानसभा की युवा तिगड़ी में जिग्नेश मेवाणी ने भी पहली बार चुनाव लड़ने के बाद भी चुनाव में 17,913 वोटों से जीत दर्ज की है. कांग्रेस की सीट माने जाने वाली वडगाम सीट पर कब्जा करके जिग्नेश मेवाणी ने साबित कर दिया है कि उन्होंने लोगों के दिल में जगह बना ली है. बता दें वडगाम एससी सुरक्षित सीट है. जिसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है. सिर्फ 2007 में बीजेपी को इस सीट पर जीत मिली थी. 2011 की जनगणना के मुताबिक वडगाम की कुल जनसंख्या तकरीबन ढाई लाख के आस-पास है जिसमें 16.2 प्रतिशत एससी और 25.3 प्रतिशत मुस्लिमों की संख्या है.
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