हापुड़ मॉब लिंचिंग मामले के एक आरोपी राकेश सिसोदिया द्वारा एक निजी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में कबूलनामे के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अर्जी स्वीकार कर ली है. 13 अगस्त को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी.
नई दिल्ली/मेरठः सुप्रीम कोर्ट अब हापुड़ मॉब लिंचिंग केस की सुनवाई करेगा. पीड़ित परिवार की अर्जी के बाद 13 अगस्त को मामले की सुनवाई की जाएगी. मॉब लिंचिंग के मामले में शीर्ष अदालत द्वारा सुनवाई करने का यह फैसला तब किया गया जब एक दिन पहले एनडीटीवी चैनल का स्टिंग सामने आया, जिसमें हापुड़ और अलवर लिचिंग केस के आरोपी बता रहे हैं कि उन्होंने किस तरह से इस घटना को अंजाम दिया. पीड़ित परिवार ने आरोपियों की जमानत रद्द करने की भी मांग की है.
18 जून को उत्तर प्रदेश के हापुड़ में भीड़ ने गोकशी के शक में कासिम कुरैशी और समीउद्दीन पर हमला बोल दिया था. मॉब लिंचिंग की इस घटना में कासिम की मौत हो गई थी जबकि समीउद्दीन गंभीर रूप से घायल हो गया था. कासिम मीट कारोबारी था. इस मामले में पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार किया था. 4 आरोपी जमानत पर बाहर हैं. भीड़ की हिंसा के एक आरोपी राकेश सिसोदिया ने चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में अपना गुनाह कबूल किया.
स्टिंग में राकेश सिसोदिया कह रहा है, ‘मैं बहुत खुश हूं और इस तरह के मामलों में (गोकशी) हजारों लोगों को मारने के लिए तैयार हूं. मैंने जेल में भी खूब धूम मचाई. जेलर ने पूछा कि किस केस में आए हो तो मैंने कहा फुल मर्डर और हाफ मर्डर. वो गाय काट रहे थे हमने उसको काट दिया. बात खत्म. जमानत के बाद हीरो की तरह मेरा स्वागत हुआ. राकेश सिसोदिया जिंदाबाद के नारे लग रहे थे. लोगों ने बाहें फैलाकर मेरा स्वागत किया.’
राकेश सिसोदिया ने आगे कहा, ‘मैंने जो किया उस पर मुझे गर्व है. मैंने बहुत ऊंचा काम किया है. मेरी सेना गो हत्यारों की हत्या करने के लिए तैयार है. पुलिस हमारे पक्ष में है और ये सब हो रहा सरकार के दम से. अगर आजम खान होता तो हमारी जिंदगी तो नरक बन जाती. इन्होंने 1 करोड़ रुपया दिया होता कासिम के परिवार को. मुझे लगा नहीं था कि कासिम मरेगा, मुझे तो लगा था कि समीउद्दीन मरेगा लेकिन वो बच गया.’
गौरतलब है कि आरोपी कोर्ट में तो खुद को बेगुनाह बता रहे थे लेकिन बाहर हत्या करने पर शेखी बघार रहे थे. बताते चलें कि पुलिस ने शुरूआती जांच के बाद इसे रोडरेज का केस बताया था. इसका एक वीडियो भी वायरल हुआ था. वीडियो में साफ दिख रहा था कि यह रोडरेज की घटना नहीं बल्कि भीड़ की हिंसा थी. कोर्ट चैनल द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन को बतौर सबूत मानने के लिए तैयार हो गया है. जुर्म के कबूलनामे के तौर पर वीडियो पेश किया जाएगा. सोमवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा इस पर सुनवाई करेंगे.
गौरक्षा के नाम पर भीड़ की दरिंदगी, बिहार में 4 युवकों की बेरहमी से पिटाई