यूट्यूब के जरिये हबीबुल ने सीखा वर्चुअल आईडी बनाना, यूएस-यूके के कोड का करता था प्रयोग

गांधीनगर: आतंकी हबीबुल इस्लाम ने यू-ट्यूब के माध्यम से वर्चुअल आईडी बनानी सीखी। एटीएस की पूछताछ में उसने यह खुद बताया। यह भी कहा कि गुजरात के जिस मदरसे में वह पढ़ता था, संदिग्ध गतिविधियों के चलते वहां से वह चला गया था। हबीबुल ने सोशल मीडिया के माध्यम से आईडी बनाने से लेकर आतंकियों […]

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यूट्यूब के जरिये हबीबुल ने सीखा वर्चुअल आईडी बनाना, यूएस-यूके के कोड का करता था प्रयोग

Deonandan Mandal

  • August 15, 2022 2:46 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

गांधीनगर: आतंकी हबीबुल इस्लाम ने यू-ट्यूब के माध्यम से वर्चुअल आईडी बनानी सीखी। एटीएस की पूछताछ में उसने यह खुद बताया। यह भी कहा कि गुजरात के जिस मदरसे में वह पढ़ता था, संदिग्ध गतिविधियों के चलते वहां से वह चला गया था। हबीबुल ने सोशल मीडिया के माध्यम से आईडी बनाने से लेकर आतंकियों के संपर्क में आकर जिहाद शुरू किया। एटीएस के सूत्रों के अनुसार ढाई से तीन साल पहले हबीबुल के भीतर धार्मिक कट्टरता पनपनी शुरू हुई।इसको लेकर वह सोशल मीडिया पर सर्च करता रहता था। खासकर वह देश विरोधी कंटेंट देखता व सुनता था। इसके बाद उसके अंदर आतंकियों से जुड़ने की इच्छा जागी। मोबाइल से संपर्क करता तो पकड़ा जाता इस वजह से वर्चुअल आईडी के बारे में जानकारी की।

यूएस-यूके के कोड का करता था प्रयोग

वर्चुअल आईडी बनाने में हबीबुल बड़ा खेल करते रहता था। पाकिस्तान और अफगानिस्तान देशों के बजाए वह यूएस व यूके के कोड की आईडी बनाता था। एटीएस ने पूछा ऐसा क्यों करता तो वह बताया कि पाकिस्तान व अफगानिस्तान के कोड का प्रयोग करने पर अगर ट्रेस किया जाता तो जांच एजेंसियों को शक तत्काल हो जाता। इसलिए वह यूएस व यूके के कोड से आईडी बनाकर इस्तेमाल करता था ताकि किसी भी जांच एजेंसी को शक न हो सके।

क्या है वर्चुअल आईडी

साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्रा ने कहा कि कई वेबसाइट हैं जहां से वर्चुअल आईडी बनाई जाती हैं। इसके लिए कुछ फीस चुकानी होती है। आतंकी जिन वर्चुअल आईडी का इस्तेमाल करते हैं, उसमें वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) का उपयोग होता है। यह नेटवर्क कुछ देशों में प्रयोग होता है। इसकी सहायता से जो वर्चुअल आईडी बनाई जाती है, इससे आईपी एड्रेस की सही जानकारी नहीं होता है। अगर कोई देश इससे संबंधित सूचना मांगता है तो उसे भी जानकारी नहीं दी जाती।

इसकी वजह से आतंकी वर्चुअल आईडी का इस्तेमाल कर मनचाहे देश का कोड फ्लैश करवाकर बातचीत करने के साथ सोशल मीडिया का प्रयोग करते हैं। इसे ट्रेस करना असंभव है, यही काम हबीबुल भी करता था

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