Gurugram Hospital Shortage Ambulance: गुरुग्राम अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों के लिए नहीं एंबुलेंस, परिजन शवों को निजी वाहनों में ले जाने को मजबूर

Gurugram Hospital Shortage Ambulance: अस्पतालों की व्यवस्थाएं भी ध्वस्त होती जा रही है। अस्पताल में मरीजों को बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर तो मिल नहीं पा रहे। वहीं इस कोविड संक्रमण से मरने वाले मरीजों को अस्पताल से श्मशान घाट पहुंचाने के लिए एंबुलेंस भी नहीं मिल रही है।

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Gurugram Hospital Shortage Ambulance: गुरुग्राम अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों के लिए नहीं एंबुलेंस, परिजन शवों को निजी वाहनों में ले जाने को मजबूर

Aanchal Pandey

  • April 28, 2021 2:49 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

गुरुग्राम/ कोरोना संक्रमण के मामले दिन पर दिन डराने लगे है। रोजाना नए नए रेकॉर्ड्स में मरीज सामने आ रहे है। अस्पतालों की व्यवस्थाएं भी ध्वस्त होती जा रही है। अस्पताल में मरीजों को बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर तो मिल नहीं पा रहे। वहीं इस कोविड संक्रमण से मरने वाले मरीजों को अस्पताल से श्मशान घाट पहुंचाने के लिए एंबुलेंस भी नहीं मिल रही है। एंबुलेंस के लिए नौ नौ घंटे या दस दस घंटे तक इंतजार करना पड़ता है। कई बार इतना इंतजार करने के बाद भी एंबुलेस नही मिलती है।

अस्पताल प्रशासन की कोविड संक्रमित शव को श्मशानघाट तक पहुंचाएगा। चालक की पीपीइ किट में होगा और श्मशानघाट पर दो या चार परिजनों को पीपीइ किट उपलब्ध कराई जाएगी। ऐसा पिछले साल भी हो रहा था लेकिन इस बार जब कोविड संक्रमण का प्रभाव अधिक है तो सरकारी अस्पताल प्रशासन ने खुद से हाथ खड़ा कर लिए हैं और कोविड संक्रमित शवों को खुद से ले जाने की सलाह शोकाकुल परिजनों को दे रहे हैं।

एक मरीज के परिजन चरण सिंह, जो ऑक्सीजन की कमी के कारण मर गए। वे अपने पिता के शव को अपनी कार में ले गए। उन्होंने कहा, “मेरे पिता आर्मी में थे और अपना सारा जीवन देश की सेवा में डाल दिया, हमसे दूर रहते थे। आज, मरने के बाद न तो उन्हें ऑक्सीजन मिली और न ही एम्बुलेंस। मंत्रियों को शर्म के मारे अपने सिर झुका लेने चाहिए।” हमें ऐसी समस्या गुजरना पड़ा। हमारा सरकार पर कोई भरोसा नहीं बचा है। मैं यह कभी नहीं भूलूंगा कि मुझे अपने पिता के शरीर को श्मशान घाट ले जाने तक के लिए एम्बुलेंस भी नहीं मिली।

वहीं एक अन्य मरीज की मां नंदा देवी जो कि 63 वर्षीय मां है। नंदा देवी की बेटी की कोरोना से मौत हो गई। नंदा देवी को अस्पताल से एंबुलेंस न मिलने पर गुरुग्राम अस्पताल से राम बाग श्मशान घाट तक ऑटो में ले जाना पड़ा। नंदा देवी ने बताया कि “मुझे आशा है कि किसी भी माँ को कभी भी ऐसी हालत नहीं देखनी पड़ेगी। मैंने सबसे खराब वक्त देखा है। अब मैं बस यही चाहती हूं कि मेरा जीवन समाप्त हो जाए। मेरे पास अब सांस लेने की क्षमता नहीं है।”

बता दें कि हरियाणा में पिछले कुछ दिनों में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, पूरे राज्य में इस वक्त 85 हजार से ज्यादा एक्टिव केस हैं। राज्य में सबसे बुरा हाल गुरुग्राम का ही है, जहां पर 30 हजार के करीब एक्टिव केस हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, गुरुग्राम में अभी तक कोरोना से 446 लोगों की जान गई है.

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