अहमदाबाद : गुजरात सरकार द्वारा धर्मांतरण पर सख्त कानून बनाने की मांग रखी गई है. इसी कड़ी में अब गुजरात सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया है. जहां गुजरात ने जबरन या लालच देकर करवाए जाने वाले धर्मांतरण को लेकर देश भर में कड़े कानून बनाने की मांग रखी है. गुजरात सरकार […]
अहमदाबाद : गुजरात सरकार द्वारा धर्मांतरण पर सख्त कानून बनाने की मांग रखी गई है. इसी कड़ी में अब गुजरात सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया है. जहां गुजरात ने जबरन या लालच देकर करवाए जाने वाले धर्मांतरण को लेकर देश भर में कड़े कानून बनाने की मांग रखी है. गुजरात सरकार ने बताया है कि अब राज्य में धर्मांतरण रोकने के लिए कानून पारित कर दिया है.
गुजरात सरकार के इस हलफनामे में बताया गया है कि धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार में लोगों को बलपूर्वक या लालच देकर धर्म परिवर्तित करने का मौलिक अधिकार शामिल नहीं है. गुजरात सरकार का कहना है कि जबरन धर्म परिवर्तन पूरे देश के लिए खतरा तो है ही साथ में आम नागरिक के धार्मिक भरोसे और उसके धर्म का उल्लंघन है. सभी नागरिकों को प्राप्त मौलिक अधिकार के तहत धोखाधड़ी, धोखे, जबरदस्ती, प्रलोभन या ऐसे अन्य माध्यमों से परिवर्तित करने का अधिकार शामिल नहीं किया गया है.
बता दें, उत्तर प्रदेश में एक व्यक्ति का जबरन धर्मांतरण करने पर एक से पाँच साल की सजा और 25 हज़ार रुपए जुर्माना का प्रावधान है, जबकि उत्तराखंड में ऐसा करने पर दो से सात साल की सजा होगी और 25 हज़ार जुर्माना लगाया जाएगा. वहीं, प्रदेश में सामूहिक धर्मांतरण के मामले में अब तीन से लेकर दस साल तक की सजा होगी, दरअसल पहले अधिकतम सज़ा तीन साल की ही हो सकती थी जिसमें अब संशोधन किया गया है. साथ ही पीड़ितों को कोर्ट के माध्यम से पाँच लाख रुपए की प्रतिपूर्ति भी मिलेगी. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, प्रदेश में धर्मांतरण का कानून अब संज्ञेय व गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आएगा जबकि पहले ये एक असंज्ञेय अपराध था.
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