September 17, 2024
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पीड़ितों को हर्जाना और गांवों में पुख्ता सुरक्षा मुहैया कराए सरकार.. मणिपुर हिंसा पर SC

  • WRITTEN BY: Riya Kumari
  • LAST UPDATED : July 11, 2023, 6:42 pm IST

इंफाल: मणिपुर में पिछले कई महीनों से भारी हिंसा का दौर जारी है. जहां राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक इस साम्प्रदायिक हिंसा को रोकने में नाकाम साबित हुई है. इसी कड़ी में मणिपुर हिंसा को लेकर मंगलवार यानी आज सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश जारी किए हैं. दरअसल मणिपुर हिंसा को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं.

गौर करे राज्य सरकार

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका में याचिकाकर्ता ने पीड़ित पक्षों को हर्जाना देने, उजड़ गए गांवों को पुनर्स्थापित करने का जो सुझाव है उस पर राज्य सरकार गौर करे. भविष्य में . याचिकाकर्ता की ओर से और भी हमले करने की आशंका जताई गई है. ऐसे में गांवों को केंद्रीय व राज्य सुरक्षा बल द्वारा समुचित सुरक्षा मुहैया करवाई जाए. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि अदालत सुरक्षा बलों की तैनाती जैसे मुद्दों पर गौर नहीं करती है ऐसे में केंद्र सरकार और राज्य सरकार को ही समुचित व्यवस्था करनी होगी.

 

ऐसे शुरू हुई लड़ाई

दरअसल मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एक आदेश जारी किया था. इसमें राज्य सरकार को हाईकोर्ट द्वारा मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने पर विचार करने के आदेश दिए गए थे. हालांकि बाद में इस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई और क्योंकि मामला आरक्षण से जुड़ा था तो पहले से ही अनुसूचित जनजाति में शामिल नगा-कुकी समुदाय में नाराज़गी फ़ैल गई जिसमें अधिकांश लोग ईसाई धर्म को मानते हैं.

दूसरी ओर मैतेई हिंदू धर्मावलंबी हैं. तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाला गया जिसमें शामिल लोग मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति की मांग का विरोध कर रहे थे. ये इस दौरान दोनों समुदाय के बीच झड़प की शुरुआत हुई जिसमें अब तक पूरा राज्य जल रहा है.

बता दें, नगा और कुकी वन और पर्वतीय क्षेत्र में रहते हैं जिन्हें इंफाल घाटी क्षेत्र में बसने का भी अधिकार है. वन एवं पर्वतीय क्षेत्र में मैतेई समाज को ऐसा अधिकार नहीं मिला है. नगा और कुकी राज्य के 90 फीसदी क्षेत्र में फैले हैं जिनकी आबादी 34 फीसदी है. दूसरी ओर मैतेई की कुल आबादी में हिस्सेदारी लगभग 53 फीसदी है लेकिन उन्हें दस फीसदी क्षेत्र मिला है. इतना ही नहीं 40 विधायक मैतेई समुदाय से है. इसलिए ये पूरी लड़ाई जमीन और जंगल को लेकर है.

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