लखनऊ । यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YIEDA) एक नई योजना लेकर आई है. जिससे नया बिजनेस करने वालों को लाभ मिलेगा. आइए साझा करते हैं, योजना की पूरी जानकारी. जानें क्या है योजना यमुना एक्सप्रेस-वे औघोगिक विकास प्राधिकरण (YIEDA) नई योजना लेकर आएं हैं. योगी सरकार उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी […]
लखनऊ । यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YIEDA) एक नई योजना लेकर आई है. जिससे नया बिजनेस करने वालों को लाभ मिलेगा. आइए साझा करते हैं, योजना की पूरी जानकारी.
यमुना एक्सप्रेस-वे औघोगिक विकास प्राधिकरण (YIEDA) नई योजना लेकर आएं हैं. योगी सरकार उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी व देश के ग्रोथ इंजन के तौर पर स्थापित करने के साथ ही इस इलाके को वाणिज्यिक केन्द्र बनाने में फोकस कर रही है. यह स्कीम ग्रेटर नोएडा के सेक्टर 24 के 12, 15 व 21-बी , और प्लॉट नंबर 11-ए व बी, के औद्योगिक भूखंडों में 5 केटेगरी के लिए निकाली गई हैं.
इस स्कीम में ऐसे औद्योगिक भूखंडों को बांटा गया है, जिसमें ज़मीन लेने वालों कोर इंडस्ट्रियल ऑपरेशंस के साथ दो कमर्शियल फैसिलिटीज का भी इन जमीन पर संचालन कर पाएंगे . उत्तर प्रदेश की योगी सरकार वन ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी व देश के ग्रोथ इंजन के रूप में स्थापित करने के लिए ही इस इलाके को कमर्शियल हब बनाने पर फोकस कर रही है.
यमुना एक्सप्रेस-वे औघोगिक विकास प्राधिकरण (YIEDA) की इस परियोजना में प्लॉट्स लेने के इच्छुक व्याक्ति 20 अक्टूबर 2023 तक आवेदन दे सकते हैं व विस्तार से जानने के लिए यीडा की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर लॉग इन कर सकते हैं. इसके साथ ही आवेदन की प्रक्रिया पुरी कर सकते है.
बिना आवेदन किए योजना का लाभ नहीं उठा सकतें. इस योजना के तहत प्लॅाट लेकर इंडस्ट्रियल यूनिट लगाने वालों यानी इस जमीन पर बिजेनस करनें वालों को हर तरह की सुविधा का लाभ मिलेगा जिसमें पहली विव्श्र स्तरीय योजना का लाभ प्राप्त हो पाऐगा.
इन प्लॉट्स में प्रिफरेंशियल लोकेशन चार्ज 5 से 10 प्रतिशत के बीच होगा. जबकि पीएलसी के साथ 80.32 करोड़ रुपए से लेकर 151.82 करोड़ रुपए के आस पास रखी गई है. ग्रेटर नोएडा के कुछ ही सेक्टर में ये सुविधा उपलब्ध है जिनमें सेक्टर 24 में प्लॅाट नंबर 11 ए व बी, 12 ,15 व 21- बी को शामिल किया गया है.
इस प्लॉट्स की खास बात ये है कि जमींन के 75 प्रतिशत हिस्से को कोर इंडस्ट्रियल रीजन के तौर पर इस्तेमाल में लाना होगा. जबकि बाकी क्षेत्र का इस्तेमाल 2 कमर्शियल रीजंस के तौर पर कर सकतें है.
वहीं, वाणिज्यिक केन्द की वजह सें अतिरिक्त निर्धारित जगह का इस्तेमाल रेजिडेंशियल व कल्चरल फैसिलिटीज के रूप में भी किया जा सकता है. कुल प्लॅाट के कम से कम 5 प्रतिशत भूमि का इस्तेमाल फैसिलिटीज व यूटिलिटीज के लिए, 8 प्रतिशत का इस्तेमाल कमर्शियल खातें व रेजिटेंशियल खाते में कम से कम 12 प्रतिशत भूमि का उपयोग करना ही होगा.
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