लखनऊ। उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा के चार दिन हो गए हैं। स्कूल खोल दिए गए हैं लेकिन इंटरनेट अभी भी बंद रखा गया है। हिंसा प्रभावित इलाके में हालात सामान्य नहीं है। इस मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 100 पत्थरबाजों के पोस्टर जारी कर दिए हैं। इधर अखिलेश यादव ने फिर से संभल हिंसा का मुद्दा उठाया है।
अखिलेश ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि न्यायिक प्रक्रिया का आधार ‘साक्ष्य’ होना चाहिए; ‘स्वप्न’ नहीं। इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय संभल हादसे के लिए ज़िम्मेदार सभी लोगों और स्वप्न पर आधारित सर्वे करानेवालों और उससे जुड़े अधिवक्ताओं के ख़िलाफ़ ऐसी दंडात्मक कार्रवाई करे कि इस देश का अमन-चैन छीननेवाले नकारात्मक तत्व फिर कभी सिर न उठा सकें।
अखिलेश ने आगे लिखा कि बार एसोसिएशन से उम्मीद है कि वो भी इस पर दंडात्मक-अनुशासनात्मक कार्रवाई करे। इस मामले में अधिवक्ता संघों को भी आगे आना चाहिए क्योंकि अगर लोगों का विश्वास न्याय से उठ गया तो फिर कोई इंसाफ़ की उम्मीद में उनके पास नहीं जाएगा। इस बात से, एक पेशेवर होने के नाते, सबसे ज़्यादा नुक़सान अधिवक्ताओं को ही होगा। ये उनके पेशे के सम्मान का भी विषय है और उनके जीवनयापन का भी।
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