नेटबंदी पर गहलोत सरकार देगी जवाब, मौलिक अधिकार के हनन पर होगी सुनवाई

जयपुर: राजस्थान में लगातार हो रही परीक्षाओं के दौरान पेपर लीक को रोकने के लिए जानलेवा सरकारी नेटवर्क पर प्रतिबंध लगाने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में आ गया है. जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें सभी पेपर को लीक होने से रोकने के लिए नेटवर्क बैन का […]

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नेटबंदी पर गहलोत सरकार देगी जवाब, मौलिक अधिकार के हनन पर होगी सुनवाई

Amisha Singh

  • March 1, 2023 5:00 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

जयपुर: राजस्थान में लगातार हो रही परीक्षाओं के दौरान पेपर लीक को रोकने के लिए जानलेवा सरकारी नेटवर्क पर प्रतिबंध लगाने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में आ गया है. जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें सभी पेपर को लीक होने से रोकने के लिए नेटवर्क बैन का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट होली के बाद सुनवाई करेगा। जानकारी के लिए बता दें, कि छाया रानी नाम की एक याचिकाकर्ता ने नेटबंदी के खिलाफ अटॉर्नी विशाल तिवारी के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें दावा किया गया है कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेशों का उल्लंघन किया है और माना जा रहा है कि कोर्ट राज्य से भी जवाब माँग सकती है।

मौलिक अधिकारों का उल्लंघन

राजस्थान विधानसभा के कांग्रेस विधायक हरीश मीणा ने भी मंगलवार को इंटरनेट बैन पर सरकार को घेरा। आप जानते ही होंगे कि हाल ही में शिक्षक भर्ती परीक्षा के दौरान जयपुर, भरतपुर समेत 11 जिलों में तीन दिनों तक इंटरनेट बंद रहा. अब याचिका में छह संभागीय आयुक्तों के आदेश को याचिका के साथ प्रस्तुत करते हुए कहा गया है कि संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 19) का उल्लंघन होता है।

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने नेटबंदी को बताया गलत

 

मालूम हो कि 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट बैन पर अनुराधा भसीन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि सामान्य मामलों में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाना गलत है और आदेश दिया कि इंटरनेट तभी बंद किया जाए जब यह अत्यावश्यक और अपरिहार्य हो। अब सुप्रीम कोर्ट में दर्ज मुकदमे में भी यही दलील दी गई है।

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इंटरनेट बंदी को बताया अवैध

आपको बता दें, याचिका में कहा गया था कि प्रतियोगी परीक्षाओं में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाना गैरकानूनी है और राज्य सरकार के अधिकारी परीक्षा में नकल को बंद करने में नाकाम है, लेकिन इसे में अब सरकार सीधे तौर पर इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाकर मौलिक अधिकारों का हनन कर रही है। साथ ही याचिका में कहा गया है कि राजस्थान में किया गया नेटवर्क बैन दूरसंचार सेवाओं 2017 के अस्थायी निलंबन के भी खिलाफ है।

 

विधायक ने भी उठाया मुद्दा

विधायक यहाँ मीणा ने मंगलवार को विधानसभा को बताया कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बावजूद यूक्रेन में इंटरनेट काम कर रहा है और अखबार के यहां आते ही सरकार नेटवर्क बंद कर देती है। उन्होंने कहा कि दस्तावेज को पारदर्शी बनाना राजस्थान सरकार का कर्तव्य है और राजस्थान में चल रही तमाम प्रक्रियाओं के बावजूद यहां दस्तावेज लीक हो गया है। सरकार अपराधियों को बचाने और उनका नाकामी छुपाने के लिए नेटबंदी करती है।

 

दुनिया में आधे इंटरनेट शटडाउन भारत में

आपको बता दें, विधायक ने यह भी कहा कि दुनिया में आधे इंटरनेट शटडाउन भारत में होते हैं और इंटरनेट शटडाउन के मामले में राजस्थान भारत में पहले स्थान पर है। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए गर्व की बात नहीं बल्कि शर्म और चिंता की बात है। विधायक ने सरकार से कहा कि वह इस पर मंथन करे और लीक को रोकने के लिए कोई उपाय निकाले।

 

 

 

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