लखनऊ। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद यूपी बीजेपी में शुरू हुई उठापटक नहीं थम रही। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने सरकार के ऊपर संगठन को महत्व देने की बात कही। बीजेपी कार्यकर्ताओ की नाराजगी की बात सामने आई। इन सभी दावों के बीच प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ घिरते हुए नजर आये। दिल्ली में जब बीजेपी शासित राज्यों की मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई तो लगा कि योगी और दोनों डिप्टी सीएम के बीच का मनमुटाव कम हो गया होगा। परंतु सोमवार को भाजपा ओबीसी मोर्चा की बैठक में मौर्य और योगी के संबोधन ने एक बार फिर सबका ध्यान अपनी तरफ किया।
इसके बाद केशव प्रसाद मौर्य ने यूपी पुलिस के डीजीपी समेत बड़े अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने इसकी तस्वीर भी सोशल मीडिया पर शेयर की है। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा कि बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को रोकने के लिए उन्होंने बैठक की है। ऐसे में ये सवाल उठना शुरू हो गया है कि जब 2017 से प्रदेश में भाजपा की ही सरकार है तो केशव प्रसाद मौर्य भ्रष्टाचार बढ़ने की बात कहकर अपनी ही सरकार को क्यों कठघरे में खड़े कर रहे हैं? वो भी ये मीटिंग तब कर रहे हैं, जब गृह विभाग सीएम योगी के पास है।
सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने डीजीपी समेत पुलिस अधिकारियों की बैठक कैसे ली जब गृह विभाग योगी के पास है। बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है कि उन्होंने पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की हो। दरअसल केशव प्रसाद मौर्य विधान परिषद में नेता सदन हैं। जब भी नया सत्र शुरू होता है तो वो विधान परिषद के नेता सदन के रूप में पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक करते हैं। मौर्य के एक्स हैंडल पर पुरानी पोस्ट में भी इस तरह की बैठक की तस्वीरें हैं।
इस साल के जनवरी में बजट सत्र शुरू होने से पहले उन्होंने पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की थी। हालांकि पहले के पोस्ट और अब में अंतर जरूर दिख रहा है। इस बार के पोस्ट में उन्होंने बढ़ते हुए भ्रष्टाचार और क्राइम की बात की है। मौर्य अपनी ही सरकार पर ऐसे समय में सवाल उठा रहे जब उनकी और योगी के बीच चल रही खींचतान जगजाहिर है। ओबीसी मोर्चा की कार्यसमिति की बैठक में उन्होंने एक बार फिर से कहा कि चुनाव पार्टी लड़ती है न कि सरकार।
केशव प्रसाद और ब्रजेश पाठक इस बैठक में शामिल हुए और योगी के आने से पहले ही दोनों निकल गए। बाहर निकलकर उन्होंने वहां मौजूद कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को विक्ट्री साइन दिखाई। इस तरह की बॉन्डिंग दोनों डिप्टी सीएम में पहली बार दिख रही है। उनके जाते ही योगी वहां पहुंचे तो सवाल उठने लगे कि सीएम को सुनने के लिए दोनों डिप्टी सीएम क्यों नहीं रुके। दिल्ली जाने से पूर्व सीएम योगी की समीक्षा बैठक में भी दोनों शामिल नहीं हुए। यूपी की सियासत में इन दिनों जो चल रहा है, उससे साफ़ जाहिर होता है कि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, ये अभी और बढ़ेगा।
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