नई दिल्ली. यूं तो राम मंदिर आंदोलन ने कई नेताओं को राजनीति में बड़ी पहचान दिलाई लेकिन,राजनीति में अगर किसी ने राम मंदिर के लिए सच्ची कुर्बानी दी है तो वे कल्याण सिंह ही थे. भारतीय जनता पार्टी के लोकप्रिय नेता कल्याण सिंह का 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया. कल्याण सिंह अपनी बोली और वाक्चातुर्य के लिए जाने जाते थे. एक दौर ऐसा भी आया था जब उन्होंने अयोध्या आन्दोलन के लिए अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया था.
जनता में लोकप्रियता
कल्याण सिंह की लोकप्रियता आमजन में सन 1990 के बाद बढ़ी. बता दें कि 30 अक्टूबर 1990 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोली चला दी थी, जिसके बाद कारसेवकों के समर्थन में भरतीय जनता पार्टी आगे आई और उन्होंने कल्याण सिंह को अपना मुख्य उम्मीदवार बनाया. कल्याण सिंह ने एक साल में ही उत्तर प्रदेश वासियों का दिल जीत भरतीय जनता पार्टी को अपने मुकाम पर उत्तर प्रदेश की सत्ता दिलाई और स्वयं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.
राम मंदिर विवाद में क्यों आया इनका नाम
मशहूर पॉलिटिशियन कल्याण सिंह कल्याण सिंह एक दौर में अयोध्या आंदोलन के सबसे बड़े चेहरों में से एक थे. राम मंदिर के लिए बीजेपी नेताओं में एकलौते शख्स थे जिन्होंने सत्ता भी कुर्बान और जेल की सजा भी काटी. बता दें कि 6 दिसम्बर 1992 को को जब बाबरी मस्जिद का विध्वंश किया गया था , जिसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को दोषी माना गया और उन्हें उस गुनाह की सज़ा मिली जो उन्होंने किया ही नहीं था. मजबूरन उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.
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