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अरुण शौरी के दावे से गहराया रहस्य, PM नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ पर किसने लिखी किताब?

नई दिल्लीः अटल सरकार में मंत्री रह चुके अरुण शौरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ पर लिखी किताब को लेकर जो दावा किया है, उससे एक रहस्य गहरा गया है. एनडीटीवी की खबर के अनुसार 25 मई, 2017 को प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) की ओर से जारी की गई एक प्रेस रिलीज के मुताबिक, राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की उपस्थिति में दो किताबों का विमोचन किया गया था. इसमें एक किताब थी, मन की बातः अ सोशल रिवोल्यूशन ऑन रेडियो, जिसके लेखक थे राजेश जैन. दूसरी थी, मार्चिंग विद अ बिलियन: अनालाइजिंग नरेंद्र मोदी गवर्नमेंट इन मिड टर्म, जिसके लेखक थे उदय माहुरकार. पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने दावा किया कि राजेश जैन का मन की बात पर लिखी किताब से कोई लेना-देना नहीं था. यह बात उन्हें खुद राजेश जैन ने बताई.

अरुण शौरी ने कहा, ‘पीएम मोदी के पूर्व सहयोगी राजेश जैन मेरे मित्र हैं. उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें (पुस्तक विमोचन) कार्यक्रम में घसीटा गया, एक लिखी हुई स्पीच दे दी गई जिसे पढ़ना था. उस वक्त वो ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन संस्था के साथ काम कर रहे थे. यह संस्था किताब के विमोचन के वक्त पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम का आयोजन कर रही थी. राजेश ने जोर देकर कहा कि किताब से उनका कोई लेना-देना नहीं है.’

राजेश जैन ने भी पूर्व मंत्री अरुण शौरी के दावे को सही बताया. उन्होंने कहा, ‘मैं मन की बात किताब का लेखक नहीं था और लेखक के तौर पर अपना नाम देखकर आश्चर्यचकित था. मुझे पीएमओ की ओर से आमंत्रित किया गया था. वहां पर मैंने देखा कि कार्ड में बतौर लेखक मेरा नाम लिखा हुआ था. मैंने कार्यक्रम में भी साफ कर दिया था कि मैं किताब का लेखक नहीं हूं. इसके बावजूद पीएम मोदी की साइट narendramodi.in और PIB की साइट पर मेरा नाम किताब के लेखक के तौर पर दर्ज है.’

राजेश जैन की मानें तो उन्हें कोई अंदाजा नहीं है कि यह किताब किसने लिखी है और उन्हें क्यों किताब के लेखक के तौर पर बुलाकर कार्यक्रम में खड़ा किया गया. बताते चलें कि इसकी पड़ताल में पाया गया कि PIB की साइट पर इससे जुड़े तीन प्रेस रिलीज हैं. पहली प्रेस रिलीज किताब के विमोचन वाले दिन यानी 25 मई, 2017 की है, जिसमें कहा गया कि किताब राजेश जैन की है. अगले दिन दूसरी रिलीज जारी हुई जिसमें दावा किया गया कि किताब राजेश जैन ने लिखी है. तीसरी प्रेस रिलीज उसी दिन शाम को जारी की गई जिसमें लिखा है कि किताब को राजेश जैन ने संकलित किया है. प्रेस रिलीज में यह भी बताया गया कि दोनों किताबों को ‘ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन’ और ‘लेक्सिसनेक्सिस’ ने खरीद लिया है. पीआईबी के प्रवक्ता फ्रैंक नोरोन्हा से जब राजेश जैन के दावों के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

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Aanchal Pandey

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