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पूर्व आईपीएस ने किया खुलासा- मुख्तार अंसारी ने योगी के काफिले पर कराया था हमला

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में 2005 में दंगा हुआ था. इस दंगे में माफिया मुख्तार अंसारी का हाथ माना जाता है. उस समय गोरक्षपीठ पीठाधीश्वर के तौर में मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ ने आवाज उठाई थी. पूर्व आईपीएस शैलेंद्र सिंह ने बताया कि योगी आदित्यनाथ ने दंगे के बाद इलाके का दौरा […]

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पूर्व आईपीएस ने किया खुलासा- मुख्तार अंसारी ने योगी के काफिले पर कराया था हमला
  • April 29, 2023 5:01 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में 2005 में दंगा हुआ था. इस दंगे में माफिया मुख्तार अंसारी का हाथ माना जाता है. उस समय गोरक्षपीठ पीठाधीश्वर के तौर में मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ ने आवाज उठाई थी. पूर्व आईपीएस शैलेंद्र सिंह ने बताया कि योगी आदित्यनाथ ने दंगे के बाद इलाके का दौरा किया था उसी दौरान उनके काफिले पर हमला हुआ था. अधिकारी ने बताया कि दंगे के समय माफिया मुख्तार अंसारी पूरे इलाके में खुली जीप में घुमता था. योगी आदित्यनाथ के काफिले पर बम से हमला कर उनको मारने की कोशिश हुई थी.

दोनों भाईयों को हुई सजा

गैंगस्टर एक्ट के तहत अफजाल अंसारी को गाजीपुर की न्यायाधीश प्रथम कोर्ट (एमपी-एमएलए) ने दोषी करार देते हुए 4 साल की सजा सुनाई है. वहीं अदालत ने अफजाल पर 1 लाख का जुर्माना भी लगाया है.  कोर्ट द्वारा दोषी करार देते ही पुलिस ने अफजाल को हिरासत में ले लिया है. वहीं अब कोर्ट के इस निर्णय के बाद उनके सांसद बने रहने पर खतरा मंडराने लगा है. बता दें कि अफजाल अंसारी बीएसपी (BSP) से सांसद हैं और साथ ही गाजीपुर लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. गाजीपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने आज शनिवार (29 अप्रैल) को अफजाल के भाई मुख्तार अंसारी को 10 साल की सजा सुनाने के साथ 5 लाख का जुर्माना भी लगाया है.

साल 2007 में इन दोनों भाइयों के खिलाफ कृष्णानंद राय और नंद किशोर रुंगटा केस को आधार बना कर गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज करवाया था. बता दें कि इस मामले में 15 अप्रैल को ही निर्णय आने वाला था. लेकिन जज के एकाएक छुट्टी पर जाने के कारण फैसले की तारीख 29 अप्रैल मुकर्रर हुई.

जानें पूरा मामला

दरअसल 22 नवंबर साल 2007 को मुहम्मदाबाद पुलिस ने भांवरकोल और वाराणसी के केस को गैंग चार्ट में शामिल करते हुए सांसद अफजाल अंसारी एवं मुख्तार अंसारी के विरुद्ध गिरोह बंद अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करवाया था. बता दें इसमें सांसद अफजाल अंसारी जमानत पर थे. वहीं 23 सितंबर साल 2022 को सांसद अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी के खिलाफ अदालत में प्रथम दृष्टया आरोप तय हुआ था.

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