आंबेडकर जयंती नई दिल्ली, संविधान के रचयिता बाबा साहेब आंबेडकर जयंती के दिन भी सियासी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां आज के दिन बाबा साहेब के हवाले से महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, एनसीपी चीफ़ शरद पवार पर निशाना साधते नज़र आ रहे हैं. क्या बोले फडणवीस? बाबा साहेब की […]
नई दिल्ली, संविधान के रचयिता बाबा साहेब आंबेडकर जयंती के दिन भी सियासी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां आज के दिन बाबा साहेब के हवाले से महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, एनसीपी चीफ़ शरद पवार पर निशाना साधते नज़र आ रहे हैं.
बाबा साहेब की जयंती के दिन शरद पवार के कई आर्टिकल्स और पूर्व बयानों को लेकर फडणवीस ने उनपर निशाना साधा है. जहां उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट लगातार किये. उन्होंने पहले ट्वीट में बताया कि जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने पर और आर्टिकल 370 को वापस लिए जाने को लेकर शरद पवार पहले से ही विरोध जताते थे. फडणवीस ने आगे लिखा, ‘एक ओर हम डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती मना रहे हैं और दूसरी ओर जो जम्मू कश्मीर से विशेष दर्ज़ा ख़त्म करने और आर्टिकल 370 के हटाने के खिलाफ थे लेकिन डॉ आंबेडकर की इच्छाओं और मूल्यों के ख़िलाफ़ आखिर क्या कहा जा रहा है?
इसके अलावा पूर्व सीएम ने आगे लिखा, हम फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर शरद पवार के अलग-अलग बयान सुनने को मिल रहे हैं. इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. एनसीपी अपनी पुरानी तुष्टिकरण की नीति की ओर है और सांप्रदायिक आधार पर समाज का ध्रुवीकरण भी कर रहे हैं. बता दें, पिछले दिनों शरद पवार फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर आलोचना कर चुके हैं. जहां उन्होंने सत्ता में बैठे लोगों पर इस फिल्म का प्रचार करने का आरोप लगाया था.
उन्होंने अपने अगले ट्वीट में कहा, अंडरवर्ल्ड अपराधी दाऊद इब्राहिम से मनी-लॉन्ड्रिंग आरोप में उनके अपने मंत्री नवाब मलिक की गिरफ्तारी को लेकर उन्होंने क्या कहा था इसका हालिया उदाहरण यहां देखा गया है. आर्टिकल में शरद पवार की ओर से कहा गया है, नवाब मलिक मुसलमान है जिस वजह से उनका नाम दाऊद इब्राहिम के साथ जोड़ा जा रहा है. आपको बता दें, इसके अलावा भी फडणवीस ने इशरत जहां, मालेगांव विस्फोट, 1993 मुंबई ब्लास्ट से जुड़े हुए शरद पवार के बयान को लेकर भी ट्वीट किया है. और इन ट्वीट्स के साथ उनपर आरोप भी लगाए गए हैं.
देवेंद्र फडणवीस ने अपने इन ट्वीट्स में लिखा, जब हम सांप्रदायिक सौहार्द की उम्मीद करते हैं तो ऐसे दोहरे मापदंड क्यों?