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फेल हुईं सरकारी व्यवस्थाएं, कहीं शमशान तो कहीं सड़को पर गेहूं रखने के लिए मजबूर किसान

नई दिल्ली: इस समय देश के कई राज्यों में गेहूं की खरीद चल रही है. जहां देश के कई राज्यों में इस समय रबी फसल गेहूं की कटाई चल रही है लेकिन देश की प्रमुख पैदावार होने के बावजूद गेहूं किसानों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. इस अव्यवस्था की तस्वीरें बता […]

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फेल हुईं सरकारी व्यवस्थाएं, कहीं शमशान तो कहीं सड़को पर गेहूं रखने के लिए मजबूर किसान
  • April 26, 2023 7:38 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: इस समय देश के कई राज्यों में गेहूं की खरीद चल रही है. जहां देश के कई राज्यों में इस समय रबी फसल गेहूं की कटाई चल रही है लेकिन देश की प्रमुख पैदावार होने के बावजूद गेहूं किसानों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. इस अव्यवस्था की तस्वीरें बता रही हैं कि कई जगह पर सरकार द्वारा की गई सभी व्यवस्थाएं फेल हो गई हैं.

सड़क हुई वन-वे

दरअसल हरियाणा के रोहतक के मदीना अनाज मंडी से जो मामला सामने आया है वह सरकारी व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर रहा है. यहां अनाज मंडी के बाहर किसानों को अपनी गेहूं की उपज रखनी पड़ रही है. अनाज मंडी में गेहूं रखने की कोई व्यवस्था ना होने के कारण किसान अपनी उपज श्मशान घाट तक में रखने पर मजबूर हैं. वहीं किसानों को राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी गेहूं के ढेर लगाते साफ़ देखा जा रहा है. गांव मदीना की अनाज मंडी में भी गेहूं रखने की जगह नहीं बची है जो कांग्रेस के पूर्व मंत्री आनंद सिंह दांगी का गांव है. किसान अब श्मशान घाट पर उपज रख रहे हैं साथ ही सड़कों पर गेहूं के ढेर लगे हुए हैं जिस वजह से सड़क वन-वे हो गई है.

इसपर किसानों ने सरकार के सभी दावों की पोल खोलना शुरू कर दिया है. जहां किसानों का कहना है कि सरकार ने जो भी सुविधा देने की बात कही थी वो इस समय धरातल पर आ गई है.

 

मुर्दों के राख के बीच पड़ा है गेहूं

समस्या की बात ये है कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से पहले ही गेहूं की फसल बुरी तरह प्रभावित हो गई थी. इसके बाद अव्यवस्थाओं के चलते किसानों को और नुकसान उठाना पड़ रहा है. मुर्दों के राखों के ढेर के बीच किसानों को गेहूं डालना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में किसानों की उपज की क्वॉलिटी पर भी फर्क पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि उन्होंने ये कदम मजबूरी में आकर उठाया है क्योंकि सरकार ने अपने वादों को पूरा नहीं किया. आज किसान उपज यहीं नीचे डालने को मजबूर हैं. दूसरी ओर गेहूं खरीद के लिए बने ऑनलाइन पोर्टल पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.

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