रांची: गढ़वा के किसान अब पुरानी खेती से आगे बढ़कर कमर्शियल खेती पर ध्यान दे रहे हैं। नतीजतन, किसानों को कम लागत और कम मेहनत में अच्छा मुनाफा मिलता है। गढ़वा एक कृषि प्रधान जिला है। यहां की ज्यादातर आबादी खेती पर निर्भर है लेकिन अब यहां खेती का चलन बदल रहा है और युवा […]
रांची: गढ़वा के किसान अब पुरानी खेती से आगे बढ़कर कमर्शियल खेती पर ध्यान दे रहे हैं। नतीजतन, किसानों को कम लागत और कम मेहनत में अच्छा मुनाफा मिलता है। गढ़वा एक कृषि प्रधान जिला है। यहां की ज्यादातर आबादी खेती पर निर्भर है लेकिन अब यहां खेती का चलन बदल रहा है और युवा भी खेती को रोजगार का जरिया बना रहे हैं। जिले के किसान अब पारंपरिक खेती की जगह कमर्शियल खेती पर ध्यान दे रहे हैं। मेराल प्रखंड के वनखेटा गांव में तीन भाइयों ने मिलकर न सिर्फ फूल उगाए, बल्कि उससे अच्छा मुनाफा भी कमाया।
मेराल प्रखंड में रेहने वाले किसान अरमा कुशवाहा के तीन बेटे रजनीकांत , रवि और मिथिलेश ने सबसे पहले फूल उगाकर कमर्शियल खेती की। ऐसा करने वाले वे ब्लॉक के पहले कृषक परिवार हैं। तीनों भाइयों ने गेंदे के फूल उगाना शुरू किया और उनकी माला बनाकर बाजारों में बेचते थे। किसानों ने 50 डिस्मिल जमीन पर गेंदे के फूल की किस्में पूसा, संतरा और हजारा लगाई हैं। इस तरह सभी भाइयों ने एक महीने में 35 हजार रुपये तक कमा लिए। वहीं तीन महीने में एक लाख रुपए तक कमाने का मकसद तय किया गया है।
फूल उगाने की खासियत यह है कि इसमें लागत बहुत कम आती है। आप कम से कम 5 लाख खर्च करके शुरुआत कर सकते हैं और मेहनत अनाज और सब्जियां उगाने से भी कम है। शादियों के सीजन में फूलों की डिमांड और भी बढ़ जाती है। इसलिए फायदा भी ज्यादा होता है। वहीं किसानों की इस पहल को लेकर प्रखंड के बीडीओ ने बयान दिया है कि वे किसानों को व्यावसायिक खेती में भी मदद करेंगे, जहां एक ओर देश के युवा सबसे ज्यादा बेरोजगारी से जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ युवाओं ने खेती को रोजगार का जरिया बना लिया है। ऐसे में प्रशासन के लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा कमर्शियल खेती को बढ़ावा दिया जाए ताकि बड़ी तादाद में युवा इससे जुड़ सकें।