नई दिल्ली. संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है. सत्र की शरुआत के साथ मोदी सरकार ने किसानों से किए अपने वादे को पूरा करते हुए तीनों कृषि कानूनों के वापसी के बिल को संसद में पेश किया जिसे लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पास हो गया. बता दें कि संसद के शीतकालीन […]
नई दिल्ली. संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है. सत्र की शरुआत के साथ मोदी सरकार ने किसानों से किए अपने वादे को पूरा करते हुए तीनों कृषि कानूनों के वापसी के बिल को संसद में पेश किया जिसे लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पास हो गया. बता दें कि संसद के शीतकालीन सत्र का आज तीसरा दिन था. सत्र के पहले दिन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक दोनों सदनों में पारित किया जा चुका है. आज के सत्र के दौरान आंदोलन में मृतक किसानों को मुआवजा देने की बात रखी गई.
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में विपक्ष ने किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजे देने की बात पर सवाल उठाते पूछा कि क्या सरकार उन्हें मुआवजा देगी? इसपर जवाब देते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि “मंत्रालय के पास किसान आंदोलन की वजह से किसी किसान की मौत का कोई रिकॉर्ड नहीं है. ऐसे में मृतक किसानों को वित्तीय सहायता देने का कोई सवाल ही नहीं उठता है.”
विपक्ष की ओर से फिर पूछा गया कि क्या किसानों के परिवारों को वित्तीय सहायता दी जाएगी, इसपर कृषि मंत्री ने कहा कि जब रिकॉर्ड ही नहीं है तो मुआवजा देने का कोई सवाल ही नहीं आता है.
बता दें कि कृषि कानूनों के रद्द होने के बावजूद भी किसानों का आंदोलन अब तक खत्म नहीं हुआ है, इसपर राकेश टिकैत ने कहा था, “50-55 हजार मुकदमे जो आंदोलन के दौरान दर्ज हुए हैं, वे वापस लिए जाएं, MSP गारंटी कानून बने, जिन किसानों ने जान गंवाई है, उन्हें मुआवजा मिले, जो ट्रैक्टर बंद हैं उन्हें ट्रैक्टर दिए जाएं. अब ये हमारे मुख्य मुद्दे हैं. सरकार को बातचीत करनी चाहिए, हमारे 700 किसान आंदोलन के दौरान मारे गए हैं, इनके परिवारों को मुआवजा दिया जाना चाहिए.”