महाराष्ट्र में महायुति में मुख्य रूप से बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी शामिल हैं.महायुति को राज्य में जिस तरह से प्रचंड जीत मिली, उसमें देवेंद्र फडणवीस की अहम भूमिका रही. उन्हें बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की पसंद माना जाता है और वे आरएसएस के भी करीबी रहे हैं.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र चुनाव नतीजे आने के लगभग 10 दिन बाद आखिरकार मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हो गया. बीजेपी विधायक दल की बैठक में देवेंद्र फडणवीस को नेता चुना गया है. सुधीर मुनगंटीवार और चंद्रकांत पाटिल ने फडणवीस के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका पंकजा मुंडे और प्रवीण दारकर ने समर्थन किया। इसके साथ ही फडणवीस का नाम सर्वसम्मति से चुन लिया गया. महाराष्ट्र के सीएम का ताज फडणवीस के सिर फिर सजने जा रहा है. फडणवीस 5 दिसंबर को मुंबई के आज़ाद मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. बता दें फडणवीस तीसरी बार महाराष्ट्र के सीएम बनने जा रहे हैं. अब महाराष्ट्र में मराठा राज के बाद पेशवा की पेशवाई चलेगी.
महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन को प्रचंड जीत मिली है. इस जीत में देवेंद्र फडणवीस का सबसे अहम रोल था. 2019 के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद शिवसेना के गठबंधन तोड़ने के बाद से ही फडणवीस एक्टिव हो गए. नतीजा यह हुआ कि जब 2022 में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत की तो फडणवीस ने उनके लिए सीएम की कुर्सी खाली कर दी. जिसके बाद अजित पवार के जरिए एनसीपी को दो धड़ों में बांटकर शरद पवार को बड़ा राजनीतिक झटका दिया गया. 2024 के लोकसभा चुनाव में महायुति की हार के बाद फडणवीस ने कमान संभाली.वोट जिहाद का नैरेटिव बनाकर उन्होंने महा विकास अघाड़ी का पूरा राजनीतिक गणित बिगाड़ दिया.
महाराष्ट्र में महायुति में मुख्य रूप से बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी शामिल हैं. नई सरकार में सीएम की सीट भले ही बीजेपी को मिली हो, लेकिन डिप्टी सीएम की सीट एकनाथ शिंदे और अजित पवार को मिलने जा रही है. अजित पवार और एकनाथ शिंदे अनुभवी नेता हैं. और वह महाराष्ट्र की राजनीति को बहुत अच्छी तरह समझते हैं. शिंदे और अजित पवार के साथ राजनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए भाजपा को उनके कद के नेता की जरूरत थी इसके लिए भाजपा के पास देवेंद्र फडणवीस से बेहतर कोई विकल्प नहीं था. अजित पवार के साथ फडणवीस की लंबे समय से राजनीतिक केमिस्ट्री रही है.इसके अलावा शिंदे के साथ भी राजनीतिक संतुलन बनाकर फडणवीस बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं.
फडणवीस को बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व पंसद करते है. वहीं वह आरएसएस के भी करीबी रहे हैं. जब 2014 में बीजेपी महाराष्ट्र की सत्ता में लौटी तो पीएम मोदी और अमित शाह ने नितिन गडकरी, पंकजा मुंडे और एकनाथ खडसे जैसे नेताओं को छोड़कर देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया था. इसके पीछे का कारण यह था कि 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद फडणवीस ने ही भाजपा को शिवसेना से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने के लिए राजी किया था. वहीं पार्टी के अन्य नेता इसके खिलाफ थे. देवेंद्र फडणवीस नागपुर से आते हैं, जिसकी वजह से उनका संघ से बेहतर तालमेल रहा है.पांच साल तक मुख्यमंत्री रहने के दौरान उन्होंने संघ के साथ संतुलन बनाए रखा है. इसके अलावा वे पीएम मोदी और अमित शाह के भी पसंदीदा हैं. वह भाजपा के पोस्टर बॉय हैं.उनकी बेदाग छवि और लोकप्रियता के कारण ही आरएसएस ने भी उन्हें अगली पीढ़ी की नेता के तौर पर चुना था. जिसमें वह बखूबी खरे उतरे.
देवेंद्र फडणवीस 2014 में मुख्यमंत्री बने और उन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। उनके नाम 44 साल की उम्र में महाराष्ट्र के दूसरे सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी है. महाराष्ट्र राज्य के गठन के बाद 17 मुख्यमंत्री बने, लेकिन उनमें से सिर्फ़ दो ही अपना कार्यकाल पूरा कर पाए. एक हैं वसंतराव नाइक और दूसरे हैं देवेंद्र फडणवीस. फडणवीस ने अपनी राजनीतिक यात्रा ABVP से शुरू की और नागपुर में पार्षद बने और फिर महापौर चुने गए. वह 1999 और 2014 में नागपुर दक्षिण पश्चिम से विधायक बने. फडणवीस को पांच साल तक सरकार चलाने का भी अनुभव है.यह भी एक बड़ा कारण रहा फडणवीस के सीएम बनने की रेस में सबसे आगे निकलने में.वह पिछले 30 सालों से राजनीति में एक्टिव हैं.
पेशवा की पेशवाई
फडणवीस अपनी काबिलियत के दम पर मराठा दबदबे वाले महाराष्ट्र में दूसरे ब्राह्मण मुख्यमंत्री बने. मराठा इतिहास में पंतप्रधान यानी ‘पेशवा’ अपनी कूटनीति और युद्ध रणनीति के लिए जाने जाते थे. फडणवीस के समर्थक उन्हें ‘पेशवा’ और देवा भाऊ कहते हैं. वह इससे पहले दो बार महाराष्ट्र के सीएम रह चुके हैं.उन्हें हर बार बड़ी चुनौती स्वीकार करनी पड़ी और हर कदम पर पार्टी को जीत दिलाई. बीजेपी के फडणवीस ऐसे नेता हैं जिन्होंने मराठा आंदोलन के दौरान जीत का ताना- बाना बुना था. मराठा और ओबीसी के बीच राजनीतिक संतुलन बनाने के लिए देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लगाई गई.
ये भी पढ़े:देवेंद्र फडणवीस बने महाराष्ट्र के सीएम, शिंदे-पवार के साथ पेश किया सरकार बनाने का दावा